पूजा का समय प्रातः 08ः32 बजे से 09ः40 बजे तक शुभ के चैघड़िया मुहुर्त में अपरान्ह 12ः24 बजे से सांय 04ः17 बजे तक चर, लाभ, अमृत के चैघड़िया मुहुर्त में एवं सांय काल 05ः35 बजे से रात्रि 07ः17 बजे तक लाभ के चैघड़िया मुहुर्त में।
पूजा विधि शनि अमावस्या के दिन स्नान आदि के बाद ’’हरड़’’ का तेल शरीर पर लगाये, पश्चिम दिशा की ओर एक चैकी रख कर उस पर काला वस्त्र बिछायें, श्याम रंग के नीले, लाजवंती के पुष्प बिछायें तथा पीपल के पत्ते पर शनि यन्त्र स्थापित करें। सरसों के तेल का दीपक, धूप जलायें, नैवद्य चढ़ाने के लिए काले उड़द का हलवा, काले तिल से बने लड्डू अक्षत, बेल पत्र, काले रंग के फूल आदि रखें, चैकी के चारों ओर तिल के तेल से भरी कटोरियां रखें इसमें काले तिल के दाने, एक सिक्का, एक पंचमुखी रूद्राक्ष डालें शनि के मन्त्रों का जाप, साधना आदि करने के उपरान्त 07 अथवा 11 शनिवार को इन कटोरियों में अपने चेहरे की छाया देखने के बाद शनिदेव जी का स्मरण के साथ शनि का दान लेने वालों को दे दें। इस प्रकार पूजा अर्चना करने से दुर्घटना, गंभीर रोग, अकाल, मृत्यु, शास्त्राघात से शनिदेव जी मुक्त रखते हैं।
ये करें उपाय शनि दोषकृत पीड़ा निवारणार्थ जिन राशि वालों को साढ़े साती या ढैया का प्रकोप हो उनको शनि दोष कृत पीड़ा निवारणार्थ- काला वस्त्र, उड़द, काला पुष्प, लोहा आदि दान करते रहना चाहिए। विशेष विषम परिस्थितियों में सविधि ग्रह शान्ति कराये।