आदेशों में उलझे अधिकारों को तरसते हजारों पंचायत सहायक
-कभी शिक्षक तो कभी पंचायत सहायक
-कहीं बाबू तो कहीं बीएलओ
-अब दिया ईग्राम का प्रभार
-12 वर्षों से स्थायीकरण की आस में फुटबाल बन रहे पंचायत सहायक
-राज्य के 26 हजार पंचायत सहायकों की पीड़ा

बाड़मेर. प्रदेश में संविदा पर कार्यरत पंचायत सहायक 12 वर्षों से स्थायीकरण की आस में सरकारी भंवरजाल में उलझे हुए हैं। इनको सरकारी महकमों की ओर से इतना काम सौंपा गया है कि हर कोई सोचने को मजबूर हो जाए। जहां सरकारी महकमें में काम अधिक होता है तो पंचायत सहायकों को फुटबाल की भांति एक से दूसरे पाले में भेज दिया जाता है। लेकिन सरकार की ओर से ना तो इनका स्थायीकरण किया जा रहा है और ना ही इनके मानदेय में कोई वृद्धि की गई है। ऐसे में स्थायीकरण की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
जहां जरूरत वहां कर रहे उपयोग
वर्तमान में पंचायत सहायक ग्राम पंचायतों में कार्यरत है। लेकिन ग्राम पंचायतों के अलावा सहायकों को कहीं शिक्षक का काम दिया हुआ है तो कहीं पर स्कूलों में सहायक कर्मचारी का जिम्मा भी है। कुछ ग्राम पंचायत सहायकों को बीएलओं का कार्य भी सौंपा हुआ है। हाल ही में कई ग्राम पंचायत सहायकों को ई-ग्राम का प्रभार भी दिया गया है।
ये कार्य रह रहे पंचायत सहायक
पंचायत सहायक ग्राम पंचायतों में जीओ टैगिंग के अलावा पंचायत के अन्य कार्यों में सहयोग करते है। दूसरी और स्कूलों में कार्यरत सहायक शिक्षण कार्य के अलावा कम्प्यूटर शिक्षा का काम देखते है। वहीं बीएलाओ बनाए गए पंचायत सहायक चुनाव चुनाव कार्य में संलग्र है। अब पंचायत में ई ग्राम का प्रभार भी आ गया है।
थोड़ी आस वो भी डूब गई
पूर्ववर्ती सरकार में विद्यालय सहायक भर्ती निकाली थी, जिसमें संविदा कर्मियों को बोनस अंक देकर नियमित करने का प्रावधान था। ऐसे में संविदा कर्मियों को थोड़ी आस जगी थी।
लेकिन हाल ही में राज्य बजट में पूछे गए प्रश्न में जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ने जबाव दिया कि उक्त भर्ती को पूवज़् में निरस्त कर दिया गया है। ऐसे में संविदा कर्मियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
महज 6 हजार मानदेय
वर्तमान सरकार ने घोषणा पत्र में संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा किया। ऐसे में अल्प मानदेय में संविदाकर्मी सरकार के विभिन्न महकमों में नियमित होने की आस में सेवाएं दे रहे है।
वर्तमान में पंचायत सहायकों को कई तरह की जिम्मेदारियां निभाने के बदले महज 6 रुपए का मानदेय दिया जा रहा है। महंगाई बढ़ती जा रही है। लेकिन मानदेय नहीं बढ़ रहा।
12 वर्षों से शोषण
राज्य में 26 हजार के करीब पंचायत सहायकों से मूल के अलावा सरकार विभिन्न कार्य करवा रही है। लेकिन जितना मानदेय दे रही है उससे परिवार का गुजारा भी नहीं चल रहा है।
अल्प मानदेय में संविदा कार्मिकों का शोषण हो रहा है। सरकार मानदेय में वृद्धि नहीं कर रही और नियमितीकरण को लेकर भी उदासीन है। कार्मिकों में रोष है। जल्द समाधान नहीं होने पर प्रदेश स्तरीय आंदोलन किया जाएगा।
सांवलसिंह राठौड़, प्रदेश उपाध्यक्ष पंचायत सहायक संघ
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