रिफाइनरी को लेकर पूर्व में प्रस्तावित जगह पर विवाद बढ़ा और भूमि मालिक एक करोड़ प्रति बीघा मुआवजा की मांग करने लगे तो तत्कालीन सरकार ने बायतु के लीलाला को छोड़ पचपदरा की लवणीय जमीन को रिफाइनरी के लिए चुन लिया। यहां के लोग तब से इन खानों की शिफ्टिंग और 600 साल से खान से नमक उत्पादन करने वालों को उतनी ही जमीन इसी इलाके में देने की मांग कर रहे हैं,लेकिन सरकार की ओर से सुनवाई नहीं हो रही है। अब प्रधानमंत्री के हाथों रिफाइनरी शिलान्यास से पूर्व इन खानों पर बुलडोजर चलने शुरू हो गए हैं।इन्हीं मजदूरों को उनकी खानें छोडऩे को मजबूर किया जा रहा है।
हम नमक का कर्ज नहीं मांग रहे हैं। यह हमारी नमक हलाली है। हमारी पीढि़यां इस पर पली- बढ़ी हैं। खानों को शिफ्ट कर हमें यह काम करने दें। इतने बड़े प्रोजेक्ट के सामने यह मांग मामूली है।-पारसमल खारवाल, अध्यक्ष सांभरा आशापुरा नमक उद्योग समिति