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रिफाइनरी की भेंट चढेग़ा 600 साल पुराना नमक उद्योग, करीब 200 नमक की खानों पर संकट,जानिए पूरी खबर

locationबाड़मेरPublished: Jan 04, 2018 11:10:42 am

Submitted by:

Ratan Singh Dave

– 200 के करीब नमक की खानों पर संकट -12000 बीघा लवणीय जमीन रिफाइनरी को आवंटित
– 200 खान का पुर्नआवंटन चाहते हैं नमक उत्पादक इसी क्षेत्र में

refinery

600 years old salt industry Will end by Refinery

बाड़मेर. जिले के पचपदरा क्षेत्र में प्रस्तावित रिफाइनरी के लिए करीब 12 हजार बीघा लवणीय भूमि के आवंटन से परंपरागत नमक उद्योग पर संकट के बादल छा गए हैं। इससे नमक की करीब 200 खानें बंद हो जाएंगी।
पचपदरा इन दिनों प्रस्तावित रिफाइनरी के लिए चर्चा में है लेकिन नमक की झील के रूप में इसकी पहचान 600 साल पुरानी है। पहले मारवाड़ के राजा- रजवाड़ों ने यहां के नमक को रियासत-रियासत भेजा, फिर अंगे्रजों के राज में पचपदरा के नमक के लिए रेलवे लाइन बिछी और आसाम तक यह नमक जाता था। आजादी के बाद भी यह उद्योग फला- फूला। पचपदरा के खारवालों की पीढि़यां यही काम करती आई हैं लेकिन अब यहां आर्थिक तरक्की की दस्तक के साथ 43000 करोड़ की लागत से रिफाइनरी लगने वाली है तो इन्हीं मजदूरों को उनकी खानें छोडऩे को मजबूर किया जा रहा है।
– मजबूरी में जगह चुनी सरकार ने
रिफाइनरी को लेकर पूर्व में प्रस्तावित जगह पर विवाद बढ़ा और भूमि मालिक एक करोड़ प्रति बीघा मुआवजा की मांग करने लगे तो तत्कालीन सरकार ने बायतु के लीलाला को छोड़ पचपदरा की लवणीय जमीन को रिफाइनरी के लिए चुन लिया। यहां के लोग तब से इन खानों की शिफ्टिंग और 600 साल से खान से नमक उत्पादन करने वालों को उतनी ही जमीन इसी इलाके में देने की मांग कर रहे हैं,लेकिन सरकार की ओर से सुनवाई नहीं हो रही है। अब प्रधानमंत्री के हाथों रिफाइनरी शिलान्यास से पूर्व इन खानों पर बुलडोजर चलने शुरू हो गए हैं।इन्हीं मजदूरों को उनकी खानें छोडऩे को मजबूर किया जा रहा है।
हम नमक हलाली मांग रहे है नमक का कर्ज नहीं
हम नमक का कर्ज नहीं मांग रहे हैं। यह हमारी नमक हलाली है। हमारी पीढि़यां इस पर पली- बढ़ी हैं। खानों को शिफ्ट कर हमें यह काम करने दें। इतने बड़े प्रोजेक्ट के सामने यह मांग मामूली है।-पारसमल खारवाल, अध्यक्ष सांभरा आशापुरा नमक उद्योग समिति

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