बर्फ फैक्ट्रियों का सर्वे तक नहीं बाड़मेर जिले में बर्फ की आठ फैक्ट्रियां चल रही है। लेकिन विभाग ने फैक्ट्रियों का कभी सर्वे तक नहीं किया है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो रहा है कि वहां आईस्क्रीम व बर्फ के साथ मिलवाट का कैसा खेल चल रहा है। इसके साथ अन्य कई गोदाम भी चल रहे हैं। लेकिन विभाग गहरी नींद में है। इसी का नतीजा है कि जिले के गुड़ामालाणी क्षेत्र में विषाक्त आइसकैंडी खाने से तीन मासूमों की जान चली गई और पांच मासूम अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अभियान चलाया और नमूने लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से हमेशा त्योहार से पहले मिलावटी खाद्य पदार्थों के विरुद्ध अभियान चलाया जाता है। विभाग अधिकारी इन दिनों में मिठाई, मावा, घी, दूध, तेल व मसाले सहित अन्य खाद्य सामग्रियों के नमूने आनन-फानन में एकत्र कर जांच के लिए भेज देते हैं। इनकी रिपोर्ट जब तक आती है, तब तक वह सामान बिक चुका होता है। इसका सीधा असर आमजन के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
महज कुछ दुकानें हो रही चिन्हित शहर में मिठाई की करीब सौ दुकानें है। विभाग बार-बार उन्हीं दुकानों के सैंपल ले रहा है। जिनके सैंपल कई वर्षों से भरे जा रहे हैं। जबकि शहर में पानी की फैक्ट्रियां, मसाले के उद्योग, तेल, घी सहित अन्य कई प्रकार के मिलावट का खेल वर्षों से चल रहा है। लेकिन विभाग महज कुछ दुकानों के सैंपल से कागजी खानापूर्ति दिखा देता है
पूरे नहीं होते टारगेट विभाग कई वर्षो से एक अधिकारी के भरोसे चल रहा है। ऐसे में मिलावटखोरी के खिलाफ विभागीय जांच रोड़ा बन रही है। वहीं सरकार के टारगेट भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं।
जांच के बाद होती है कार्रवाई इस वर्ष जिले में 111 सैंपल लिए हैं। प्रयोगशाला में भेज दिए। जांच के बाद नियमानुसार कार्रवाई होती है। बर्फ की फैक्ट्रियों का सर्वे नहीं किया है। – भूराराम गोदारा, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी, बाड़मेर