लगभग 5 वर्ष 5 माह पूर्व गांव में आंगनबाड़ी का बजट आया। इसके बाद ग्राम पंचायत की ओर से काम शुरू करवाया लेकिन अधूरा छोड़ दिया गया। आधा-अधूरा बना भवन अब जर्जर होने लगा है। कार्य शुरू करवाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन को अवगत करवाया लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।
टांके से हादसे का अंदेशा
निर्माणाधीन भवन के पास पानी के लिए टांके का निर्माण करवाया गया। उसका काम अधूरा होने के टांका खुला रहता है। ऐसे में छोटे बच्चों व पशुओं के लिए हरदम हादसे का अंदेशा लगा रहता है। इसकी सुरक्षा के लिए भी कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं।
निर्माणाधीन भवन के पास पानी के लिए टांके का निर्माण करवाया गया। उसका काम अधूरा होने के टांका खुला रहता है। ऐसे में छोटे बच्चों व पशुओं के लिए हरदम हादसे का अंदेशा लगा रहता है। इसकी सुरक्षा के लिए भी कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं।
प्रशासनिक उदासीनता से बच्चे परेशान
प्रशासनिक उदासीनता के चलते मासूमों को डेढ़ से दो किलोमीटर दूर आंगनबाड़ी केन्द्र पर जाना पड़ता है। जबकि गांव में आंगनबाड़ी के लिए पूर्व में बजट आ चुका है। काम रूकने के बाद इसकी सार संभाल नहीं लेने के कारण अब भवन व टांका जर्जर हो रहे हैं।
प्रशासनिक उदासीनता के चलते मासूमों को डेढ़ से दो किलोमीटर दूर आंगनबाड़ी केन्द्र पर जाना पड़ता है। जबकि गांव में आंगनबाड़ी के लिए पूर्व में बजट आ चुका है। काम रूकने के बाद इसकी सार संभाल नहीं लेने के कारण अब भवन व टांका जर्जर हो रहे हैं।
लगभग 5 वर्ष 5 माह पूर्व गांव में आंगनबाड़ी का बजट आया। इसके बाद ग्राम पंचायत की ओर से काम शुरू करवाया लेकिन अधूरा छोड़ दिया गया। आधा-अधूरा बना भवन अब जर्जर होने लगा है। कार्य शुरू करवाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन को अवगत करवाया लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।
टांके से हादसे का अंदेशा कार्य शुरू होना चाहिए
लगभग 5 वर्ष से आंगनबाड़ी भवन का काम रूका हुआ है। बच्चों को दो किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। काम शुरू हो तो मासूमों को राहत मिलेगी।
लगभग 5 वर्ष से आंगनबाड़ी भवन का काम रूका हुआ है। बच्चों को दो किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। काम शुरू हो तो मासूमों को राहत मिलेगी।
दीने खां, सामाजिक कार्यकर्ता