झिंगोनिया चार माह, मीणा रहे 9 माह
नगर परिषद में तत्कालीन आयुक्त अनिल झिंगोनिया का कार्यकाल चाढ़े चार माह रहा था। उन्हें एपीओ कर 19 जनवरी को पवन मीणा को लगाया था। अब पवन मीणा को एपीओ कर दिया गया है। मीणा का कार्यकाल महज 9 माह रहा।
नगर परिषद में तत्कालीन आयुक्त अनिल झिंगोनिया का कार्यकाल चाढ़े चार माह रहा था। उन्हें एपीओ कर 19 जनवरी को पवन मीणा को लगाया था। अब पवन मीणा को एपीओ कर दिया गया है। मीणा का कार्यकाल महज 9 माह रहा।
5 साल में 11 आयुक्त आए-गए
नगर परिषद बोर्ड गठन के दौरान धर्मपाल जाट आयुक्त थे, उन्हें एपीओ किया गया। उसके बाद चार्ज एडीएम के पास रहा। 26 जून 2015 में आयुक्त पद पर जोधाराम को लगाया। फर्जी पट्टा प्रकरण उजागर होने पर उन्हें भी एपीओ कर दिया। उसके बाद एक दिन के लिए रामकिशोर के आदेश हुए, लेकिन यह आदेश उसी दिन निरस्त हो गए। उसके बाद श्रवणकुमार आयुक्त बने। बाद में कमलेश मीणा, प्रकाश डूडी, आरएएस अधिकारी गुंजन सोनी, पंकज मंगल, अनिल झिंगोनिया व पवन मीणा आए। अब मीणा को स्वायत्त शासन विभाग ने एपीओ कर दिया।
नगर परिषद बोर्ड गठन के दौरान धर्मपाल जाट आयुक्त थे, उन्हें एपीओ किया गया। उसके बाद चार्ज एडीएम के पास रहा। 26 जून 2015 में आयुक्त पद पर जोधाराम को लगाया। फर्जी पट्टा प्रकरण उजागर होने पर उन्हें भी एपीओ कर दिया। उसके बाद एक दिन के लिए रामकिशोर के आदेश हुए, लेकिन यह आदेश उसी दिन निरस्त हो गए। उसके बाद श्रवणकुमार आयुक्त बने। बाद में कमलेश मीणा, प्रकाश डूडी, आरएएस अधिकारी गुंजन सोनी, पंकज मंगल, अनिल झिंगोनिया व पवन मीणा आए। अब मीणा को स्वायत्त शासन विभाग ने एपीओ कर दिया।
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यह कारण आए सामने
– नगर परिषद ने बेआसरा पशुओं से निजात दिलाने के लिए नंदी गोशाला शुरू की है। इस काम में आयुक्त की कार्यप्रणाली से कुछ पार्षद नाखुश थे। उनका आरोप था कि बिना बोर्ड से अनुमोदन लिए नंदी गोशाला में काम शुरू करवा दिया।
– दूसरा कारण सामने आया है कि नगर परिषद की आरोप-प्रत्योराप की राजनीति हावी हो गई थी, आयुक्त ठेकेदारों की ओर से गुणवत्ता को ध्यान में नहीं रखकर किए कार्य का भुगतान रोक बैठे थे, लेकिन कई पार्षद भुगतान करवाने का दबाव बना रहे थे। ऐसे में उनकी शिकायत हो गई।
यह कारण आए सामने
– नगर परिषद ने बेआसरा पशुओं से निजात दिलाने के लिए नंदी गोशाला शुरू की है। इस काम में आयुक्त की कार्यप्रणाली से कुछ पार्षद नाखुश थे। उनका आरोप था कि बिना बोर्ड से अनुमोदन लिए नंदी गोशाला में काम शुरू करवा दिया।
– दूसरा कारण सामने आया है कि नगर परिषद की आरोप-प्रत्योराप की राजनीति हावी हो गई थी, आयुक्त ठेकेदारों की ओर से गुणवत्ता को ध्यान में नहीं रखकर किए कार्य का भुगतान रोक बैठे थे, लेकिन कई पार्षद भुगतान करवाने का दबाव बना रहे थे। ऐसे में उनकी शिकायत हो गई।