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बाड़मेर

पहले पैसा देना पड़ता है, फिर फैक्ट्री बनाती है पटाखा

-अब नहीं बेचने के आदेश में फंसे व्यापारी- ऑर्डर के तीन-चार महीने बाद मिलती है डिलीवरी-व्यापारी के पैसों से ही पटाखा फैक्ट्रियां खरीदती है कच्चा माल-बड़े होलसेल व्यापारी शिवकाशी से बनवाते हैं पटाखे, पटाखों का कोई रिटर्न नहीं-इस दिवाली के लिए दिसम्बर-19 में ही फैक्ट्री मालिकों को दे दी थी रकम

बाड़मेरNov 04, 2020 / 10:09 pm

Mahendra Trivedi

file photo

पहले पैसा देना पड़ता है, फिर फैक्ट्री बनाती है पटाखा

बाड़मेर. यह सुनकर जरूर आश्चर्य होगा कि बड़े होलसेल व्यापारियों को पटाखे बनवाने पड़ते हैं। इसके लिए बकायदा फैक्ट्री मालिकों को एडवांस रकम देनी पड़ती है। इसके बाद ही कंपनी उनके ऑर्डर के अनुसार पटाखे तैयार करती है। व्यापारी के पैसे से ही कच्चा माल खरीदकर पटाखे बनाए जाते हैं और पैकिंग से लेकर डिलीवरी तक सब कुछ पैसा बड़े व्यापारियों को एडवांस में देना पड़ता है। अब दिवाली से ठीक पहले कोरोना के कारण राज्य सरकार की ओर से पटाखों की बिक्री और आतिशबाजी पर रोक लगाने से पटाखों व्यापारियों के सामने स्टॉक को लेकर बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है।
बड़े व्यापारियों के पटाखों का व्यवसाय पूरे साल चलता है। इसलिए पटाखे बनवाते रहते हैं। इस बार दिवाली के लिए भी उन्होंने मार्च-अप्रेल में ही स्टॉक मंगवा लिया। इससे पहले उन्होंने पिछली दिवाली के बाद दिसम्बर 2019 में ही इस बार की दीपावली के लिए पटाखे बनवाने का ऑर्डर देने के साथ पैसे भी फैक्ट्री मालिकों को दे दिए।
बिना पैसे दिए नहीं बनते हैं पटाखे
व्यापारियों का कहना है कि पटाखा बनाने वाली फैक्ट्री को एडवांस पैसा देना होता है। इसी पैसे से कच्चा माल खरीदा जाता है। पटाखों की खरीद और वैरायटी के अनुसार उनसे पैसा ले लिया जाता है। कौन-कौन से पटाखे कितने लेते होते हैं, उसी अनुसार रेट बता दी जाती है और पैसा जमा करवाना पड़ता है। इसमें कच्चा माल, लेबर व पैकिंग के साथ ट्रांसपोर्ट और डिलीवरी तक की राशि शामिल होती है।
अप्रेल में आ गए दिवाली के पटाखे
दिसम्बर में ऑर्डर देने के बाद पटाखे तीन-चार महीनों में तैयार होते हैं। दिसम्बर में दिए गए ऑर्डर के चलते अप्रेल में ही पटाखों का स्टॉक तैयार होकर बाड़मेर आ गया। अब यहां अप्रेल से इस उम्मीद में संभाल रखा है कि दिवाली पर बिक जाएंगे। लेकिन अब अचानक बेचने पर लगी रोक के चलते स्टॉक का क्या करेंगे, व्यापारियों के सामने यह बड़ा सवाल बन चुका है।
बाड़मेर जिले में 10 करोड़ का पटाखा व्यापार
जिले में करीब 10 करोड़ रुपए के पटाखों का व्यापार दिवाली पर होता है। बाड़मेर-बालोतरा के बाद सबसे अधिक पटाखा दुकानें चौहटन में लगती है। पटाखा व्यापारी लाखों का माल खरीदते हैं। इस बार पटाखों का व्यापार इतना ही होने की उम्मीद थी। कोरोना के चलते इसमें कुछ कमी जरूर आ सकती। लेकिन अब तो रोक लगने से बड़ा नुकसान होगा।
शिवकाशी से बनवाते हैं पटाखे
बाड़मेर शहर के पटाखों के होलसेल व्यापारी गिरीश शारदा बताते हैं कि उन्होंने दिसम्बर 2019 में ही शिवकाशी तमिलनाडू में पटाखा फैक्ट्री को पटाखे बनवाने के लिए एडवांस में ऑर्डर देकर पैसा जमा करवा दिया। माल तैयार होकर अप्रेल में ही आ गया। गोदाम में देखरेख के लिए कर्मचारी भी लगाए हुए हैं। पटाखे नहीं बिकने पर बहुत बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे। व्यापारियों को भी बड़ा नुकसान होगा।

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