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बाड़मेर: 9 साल के बच्चे ने कोरोना को हराया

locationबाड़मेरPublished: Jun 04, 2021 09:23:52 pm

Submitted by:

Mahendra Trivedi

– 14 दिन बाद अस्पताल से मिली छुट्टी- दो बार रिपोर्ट पॉजिटिव, तीसरी आई नेगेटिव- एचआरसीटी में 17 आया था स्कोर

बाड़मेर: 9 साल के बच्चे ने कोरोना को हराया

बाड़मेर: 9 साल के बच्चे ने कोरोना को हराया

बाड़मेर. बाड़मेर के राजकीय अस्पताल की एमसीएच यूनिट के कोविड वार्ड में भर्ती 9 साल के बच्चे ने आखिर कोरोना को शिकस्त दे दी। पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद चिकित्सकों ने बच्चे को 14 दिन बाद गुरुवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया। अस्पताल से छुट्टी के दौरान बच्चे के साथ परिजनों और चिकित्सकों के चेहरों पर भी खुशी नजर आई।
जानकारी अनुसार 9 साल के हेमंत को 15 मई को बुखार आया था, उसे निजी चिकित्सक को दिखाया गया था, उस दौरान खांसी भी थी और सांस में तकलीफ जैसे लक्षण भी दिखे। इसके बाद एचआरसीटी करवाई गई तो उसमें स्कोर 17 आया था। इसके बाद उसे एमसीएच यूनिट में 20 मई को भर्ती कर लिया गया।
दो बार आरटीपीसीआर आई पॉजिटिव
एचआरसीटी के बाद आरटीपीसीआर टेस्ट करवाने पर 14 दिनों में बच्चा लगातार दो बार पॉजिटिव आया। इससे चिकित्सकों को कुछ चिंता हुई। लेकिन बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार होने पर चिकित्सक काफी संतुष्ट थे। इसके बाद तीसरी बार की रिपोर्ट गुरुवार को मिली जो नेगेटिव आई थी। इसके बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।
काफी गंभीर थी स्थिति
एचआरसीटी जांच के स्कोर के अनुसार चिकित्सकों को मामला काफी गंभीर लगा। इस दौरान परिजनों को हायर सेंटर की भी सलाह दी गई। लेकिन परिजनों के चिंतित होने पर चिकित्सकों ने उन्हें धैर्य के साथ यहां पर ही उपचार लेने का भी कहा। परिजन मान गए और उपचार शुरू हुआ। ऑक्सीजन करीब 6 दिन तक लगातार चली और बच्चे में सुधार नजर आने लगा। पिता के अनुसार बच्चे को पिछले 14 दिनों में करीब 100 इंजेक्शन लगे।
चिकित्सकों की टीम ने रखी पूरी निगरानी
वार्ड में भर्ती बच्चे के स्वास्थ्य पर वरिष्ठ शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. हरीश चौहान व सहायक आचार्य डॉ. अमित शांडिल्य की टीम ने लगातार निगरानी रखी। वहीं नर्सिंग टीम में वार्ड प्रभारी अर्जुन सिंह राव वार्ड प्रभारी, हंसराज पंवार, खेमचंद वडेरा, हनुमंत सिंह, मीना पंवार, जितेन्द्र कुमार सोनी भी रात-दिन बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर तैयार रहते थे।
काफी क्रिटिकल केस था
कोविड के दौरान यूनिट में आना वाला यह पहला क्रिटिकल केस था। जिसमें बच्चे की स्थिति काफी गंभीर रही। परिजनों ने धैर्य रखा और उसका बेहतर उपचार हुआ। हमारी टीम ने उसका पूरा ख्याल रखा और लगातार 24 घंटे बच्चे के स्वास्थ्य पर नजर रखी और वह स्वस्थ होकर घर लौट रहा है।
डॉ. हरीश चौहान, एसोसिएट प्रोफेसर व वरिष्ठ शिशुरोग विशेषज्ञ राजकीय अस्पताल बाड़मेर
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