चिकित्सालय में अधिकांश महत्वपूर्ण मशीनें दो-दो की संख्या में है। जब एक मशीन खराब हो जाती है तो दूसरी को काम में लिया जाता है। लेकिन इस समयावधि में खराब मशीन को दुरुस्त करने व रखरखाव को लेकर कोई गंभीर नहीं रहता है। चिकित्सालय में जब दूसरी मशीन खराब हो जाती है तब प्रबंधन हरकत में आता है। इससे कई दिनों तक जांच कार्य अटक जाता है।
40 लाख की ऑटो एनलाइजर बंद एक समय में एक साथ 70 मरीजों की दस तरह की बॉयोकेमेस्ट्री जांच करने वाली ऑटो एनलाइजर मशीन पिछले दो साल से बंद है। 40 लाख कीमत की मशीन को अभी तक एक बार डेमो के समय व दूसरी बार मुख्यमंत्री के दौरे के समय चलाया गया है। वर्तमान में इसका उपयोग नहीं हो रहा है इसे ढक कर रखा गया है। इस मशीन को प्रयोग में नहीें लेेने से मरीजों को रिपोर्ट देरी से मिल रही है। इसके लिए कार्मिकों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया था।
बड़ी सीबीसी मशीन खराब चिकित्सालय में रक्त से संबंधित सभी तरह की जांच करने वाली पांच पार्ट वाली सीबीसी मशीन वर्षों से खराब पड़ी है। प्रयोगशाला में कार्मिकों की लापरवाही से इसका रखरखाव सही तरीके से नहीं होने के कारण पांच लाख से अधिक लागत की यह मशीन बंद पड़ी है।
डिजिटल एक्स-रे चार साल से बंद मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना के तहत चिकित्सालय में प्रतिदिन सौ से अधिक एक्स-रे किए जा रहे हैं। यहां पर तीन एक्स-रे मशीन में से महज एक मशीन कार्य कर रही है। यहां पर डिजिटल एक्स-रे मशीन पिछले चार वर्षों से नाकारा पड़ी है। एक तरफ नि:शुल्क जांच योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डिजिटल एक्स-रे मशीन की सुविधा उपलब्ध है। वहीं जिला अस्पताल में गंभीर मरीजों को उच्च गुणवत्ता की एक्स-रे मशीन की सुविधा नहीं मिल रही है। यहां पर एक मैनुअल एक्स-रे मशीन भी खराब पड़ी है।
नहीं हो रहा सही स्टरलाइजेशन चिकित्सालय के जननी केन्द्र में प्रसव के दौरान संक्रमण रोकने के लिए उच्च तकनीक की ओटोक्लेव स्टरलाइजेशन मशीन पांच वर्षों से धूल फांक रही है। इसका यहां पर एक बार भी उपयोग नहीं हो सका है। इसके अलावा चिकित्सालय में वेंटीलेटर, हृदय की जांच के लिए टीएमटी मशीन व कई वार्डों की ईसीजी मशीनें खराब होने से चिकित्सकीय कार्य प्रभावित होने के साथ मरीजों की परेशानी बढ़ रही है।
प्रभारी को पाबंद किया जाएगा चिकित्सालय में खराब पड़ी मशीनरी की सूचना व इसकी समय पर रिपेयरिंग को लेकर संबधित प्रभारी को पाबंद करेंगे। जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े ।डॉ. देवेन्द्र भाटिया, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी