पश्चिमी बॉर्डर के पास ग्रामीणों ने कहा कि युद्ध की किसको परवाह है। 1965 और 1971 में घर में घुसकर मारा था। हम न हारे हैं ना हारेंगे। सीमावर्ती रोहिड़ी, तामलौर, पनेला, केरोकरी, जैसिंधर स्टेशन, गडरारोड़ गांवों में भी ग्रामीणों की आंखों में पुलवामा की घटना के बाद आग बरकरार है।