तीन माह विशेष शिविर
राज्य सरकार सालभर में लक्ष्य हासिल करने के लिए अप्रेल से मार्च तक का समय देती है। लेकिन यहां एक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दिसंबर से मार्च तक ही लक्ष्य हासिल करने को विशेष शिविर लगते है। इन शिविरों में 95 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करना रहता है। एेसे में विभाग प्रतिदिन शिविर तय कर रहा है। ऑपरेशन करने वाले 6 चिकित्सक ही हैं, जिन्हें अलग-अलग टीमों में भेजा जा रहा है।
राज्य सरकार सालभर में लक्ष्य हासिल करने के लिए अप्रेल से मार्च तक का समय देती है। लेकिन यहां एक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दिसंबर से मार्च तक ही लक्ष्य हासिल करने को विशेष शिविर लगते है। इन शिविरों में 95 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करना रहता है। एेसे में विभाग प्रतिदिन शिविर तय कर रहा है। ऑपरेशन करने वाले 6 चिकित्सक ही हैं, जिन्हें अलग-अलग टीमों में भेजा जा रहा है।
अब यह आलम
प्रतिदिन अब पचास से सौ केस निपटाए जा रहे हैं। एेसे में ये चिकित्सक एक साथ तीन टेबल लगाते हैं। इन तीन टेबल की स्थिति यह रहती है कि तीसरी टेबल का ऑपरेशन होते-होते पहली टेबल पर एक नया मरीज आ जाता है। टीम का काम समय की कमी के चलते इतनी तेजी से चलता है कि परिजनों को भी अचरज होता है कि इतनी जल्दी कैसे हो गया?
प्रतिदिन अब पचास से सौ केस निपटाए जा रहे हैं। एेसे में ये चिकित्सक एक साथ तीन टेबल लगाते हैं। इन तीन टेबल की स्थिति यह रहती है कि तीसरी टेबल का ऑपरेशन होते-होते पहली टेबल पर एक नया मरीज आ जाता है। टीम का काम समय की कमी के चलते इतनी तेजी से चलता है कि परिजनों को भी अचरज होता है कि इतनी जल्दी कैसे हो गया?
सौ से ज्यादा एक दिन में होती है नसबंदी – कई एेसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है जहां सौ से ज्यादा नसबंदी हो जाती है। यहां शाम सात से रात दस बजे तक भी ऑपरेशन किए जाते हैं ताकि दूसरे दिन यहां शिविर नहीं लगाना पड़े। विभागीय कार्मिक इस हिसाब से ही कार्य कर रहे हैं।
छुट्टी भी तुरंत – नसबंदी होने के बाद मरीज को यहां दाखिल करने या उसकी देखभाल करने का सिस्टम नहीं है। तुरंत साधन से उसे गांव भेज दिया जाता है। इतनी जल्दी छुट्टी देने के बाद संबंधित क्षेत्र की नर्स ही इनकी देखभाल करती है।
चिकित्सक हों तो बात बने
चिकित्सक हों तो बात बने
– जिले में बीस से पच्चीस चिकित्सक हों तो यहां के सभी 23 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर एक साथ यह शिविर आयोजित होकर तसल्ली से ऑपरेशन हो सकते हंै। लेकिन केवल छह चिकित्सक होने से विभाग को यह परेशानी झेलनी पड़ रही है।
प्रदेश में सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि बाड़मेर में
– जनसंख्या वृद्धि को लेकर स्थिति यह है कि सीमावर्ती बाड़मेर जिले की जनसंख्या 26 लाख 3051 तक पहुंच गई है। प्रदेश में सर्वाधिक दशकीय वृद्धि 2001 से 2011 में बाड़मेर में 32 प्रतिशत से अधिक हुई है। एेसे में यहां जनसंख्या नियंत्रण को विशेष प्रयास होने चाहिए थे लेकिन एेसा कुछ नहीं किया गया है। अभी भी पुराने ढर्रें पर ही विभाग चल रहा है।
– जनसंख्या वृद्धि को लेकर स्थिति यह है कि सीमावर्ती बाड़मेर जिले की जनसंख्या 26 लाख 3051 तक पहुंच गई है। प्रदेश में सर्वाधिक दशकीय वृद्धि 2001 से 2011 में बाड़मेर में 32 प्रतिशत से अधिक हुई है। एेसे में यहां जनसंख्या नियंत्रण को विशेष प्रयास होने चाहिए थे लेकिन एेसा कुछ नहीं किया गया है। अभी भी पुराने ढर्रें पर ही विभाग चल रहा है।
फैक्ट फाइल
– 17000 नसबंदी का है लक्ष्य – 06 डॉक्टर को करनी है यह नसबंदी
– 04 महीने है नसबंदी के शेष – 50 शिविर लगेंगे हर महीने
– 17000 नसबंदी का है लक्ष्य – 06 डॉक्टर को करनी है यह नसबंदी
– 04 महीने है नसबंदी के शेष – 50 शिविर लगेंगे हर महीने