रैली सयोजक रामपाल जाट ने बताया कि प्रात: 10 बजे वीर तेजाजी मंदिर से डीजे के साथ वाहन रैली निकाली गई,जो गांव के मु य चौराहे होते हुए काश्मीर सर्किल से वापीस तेजाजी मंदिर पहुँची। रैली का ग्रामीणों द्वारा जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।
सैकड़ों नॉजवानों ने डीजे की धुन पर थिरकते हुए भारत माता के जयकारे लगाते हुए शांतिपूर्वक रैली निकालकर देशभक्ति का संदेश दिया। रैली को संबोधित करते हुऐ गजेंद्र चौधरी ने कहा कि ऐसी रैलयों के आयोजन से युवाशक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा
सामाजिक समरसता और राष्ट्रंनिर्माण की भावना जाहोतीहै। इस दौरान पुलिस जाब्ता भी तैनात रहा।
सामाजिक समरसता और राष्ट्रंनिर्माण की भावना जाहोतीहै। इस दौरान पुलिस जाब्ता भी तैनात रहा।
संवादसूत्रों के मुताबिक, आजादी की 70वी वर्षगांठ एवं शहीदों को श्रद्धाजलि के लिए भाजपा की ओर से भी जिले में तिरंगा रैली निकली गई; रैली में सांसद सोनाराम चौधरी, प्रधान कुंभाराम, जिला परिषद सदस्य रूपसिंह राठौड़ भी शरीक हुए। सैकड़ों बाइक सवारों के साथ सांसद ने भी बाइक पर बैठकर तिरंगा रैली में शिरकत की। चौहटन मंडल के बैनर तले भाजपा की तिरंगा रैली चौहटन के बाजारों व मुख्य मार्गों से होकर निकाली। इस मौके पर उपप्रधान शैतानसिहं, देवीलाल खागट, अमराराम सारण, गुलाब सिंह सहित सैंकड़ों युवाओं ने रैली में शिरकत की।
दूर नहीं हुई ये मुसीबत
बाडमेर. रामसर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लाखों रुपए की लागत से बनी सराय लंबे समय से ताले में बंद है। यहां आने वाले मरीजों के परिजनों के रहने एवं ठहरने की व्यवस्था हेतु इसका निर्माण किया गया था। चिकित्सा प्रशासन द्वारा इसका उपयोग नहीं करने से दुरुपयोग हो रहा है, जबकि यहीं मरीजों के लिए बैठने की भी व्यवस्था नहीं है। जानकारी के मुताबिक, यहां पर कमरों की भी कमी है। जब नसबंदी कैंप या कोई कार्यक्रम होता है, तो जगह नहीं होती है। मरीजों को एडमिट करने के लिए बेड भी नहीं है, अव्यवस्था देखने को मिलती है। अगर 5 मरीजों से ज्यादा मरीज आ जाएं और उन्हें यहां एडमिट करना पड़े तो वे बिन बेड होते हैं। इतना ही नहीं यहां 6 चिकित्सकों की जगह मात्र एक चिकित्सक ही कार्यरत है। एक ही आयुष चिकित्सा अधिकारी है। इस अभाव में यहां पर उचित प्रकार की सुविधाएं नहीं मिल रही है।
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बाडमेर. रामसर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लाखों रुपए की लागत से बनी सराय लंबे समय से ताले में बंद है। यहां आने वाले मरीजों के परिजनों के रहने एवं ठहरने की व्यवस्था हेतु इसका निर्माण किया गया था। चिकित्सा प्रशासन द्वारा इसका उपयोग नहीं करने से दुरुपयोग हो रहा है, जबकि यहीं मरीजों के लिए बैठने की भी व्यवस्था नहीं है। जानकारी के मुताबिक, यहां पर कमरों की भी कमी है। जब नसबंदी कैंप या कोई कार्यक्रम होता है, तो जगह नहीं होती है। मरीजों को एडमिट करने के लिए बेड भी नहीं है, अव्यवस्था देखने को मिलती है। अगर 5 मरीजों से ज्यादा मरीज आ जाएं और उन्हें यहां एडमिट करना पड़े तो वे बिन बेड होते हैं। इतना ही नहीं यहां 6 चिकित्सकों की जगह मात्र एक चिकित्सक ही कार्यरत है। एक ही आयुष चिकित्सा अधिकारी है। इस अभाव में यहां पर उचित प्रकार की सुविधाएं नहीं मिल रही है।
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