आइआइटी रुडक़ी के सुझाव के बाद एचपीसीएल ( HPCL ) की ओर कंसल्टेंट एजेंसी से बंडवॉल की डिजायन तैयार करवाई गई। इस डिजायन के हिसाब से भारी बाढ़ भी रिफाइनरी की दीवार को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी। रिफाइनरी स्थल के आसपास समुद्र तल से लगभग 106 मीटर की ऊंचाई तक बाढ़ या बरसाती पानी के आने की आशंका है। इस पर एचपीसीएल की ओर जमीन के स्तर के अनुरूप समुंद्र तल 108 मीटर की ऊंचाई के हिसाब से बंड वॉल का निर्माण करवाया जाएगा।
मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल ( MPT ) का निर्माण 2003 में प्रारंभ हो गया था और 2006 में कवास की बाढ़ आई थी। कवास की बाढ़ से चारों तरफ नुकसान हुआ। बाढ़ का पानी भी मंगला क्षेत्र के भीतर से निकल गया। इस पर तत्काल यहां पर गेबियन वॉल बनाई गई है जो विश्व में उच्च स्तरीय मानी जाती है। दस मीटर से अधिक चौड़ी और बीस मीटर से अधिक ऊंची इस वॉल में ऐसे आरसीसी के ज्वाइंट है जो हजारों क्यूसेक पानी की मार सह सकते हैं।
रेगिस्तान में जहां पहले बारिश और उसके बाद बाढ़ दोनों कल्पना से परे थे। साल 2006 की कवास की बाढ़ ने इस कल्पना को तोड़ दिया। इसके बाद गुड़ामालानी, बालोतरा और अन्य जगहों पर बाढ़ के हालात पैदा होते रहे हैं। इसलिए रिफाइनरी, तेल कुओं को पानी से बचाव के उपाय किए जा रहे हैं।