फाइव स्टार- विद्यालय का परिणाम बोर्ड के कुल परीक्षा परिणाम से अधिक होने, विद्यालय में प्रथम श्रेणी से उतीर्ण छात्रों का प्रतिशत राज्य स्तर पर प्रथम श्रेणी से उतीर्ण होने वाले छात्रों के कुल प्रतिशत से अधिक होने पर
फोर स्टार- प्रथम श्रेणी से उतीर्ण होने वाले छात्रों का प्रतिशत राज्य स्तर पर बोर्ड परीक्षा में प्रथम आने वाले छात्रों के कुल प्रतिशत से कम है तो विद्यालय को फोर स्टार रैंकिंग दी जाएगी।
फोर स्टार- प्रथम श्रेणी से उतीर्ण होने वाले छात्रों का प्रतिशत राज्य स्तर पर बोर्ड परीक्षा में प्रथम आने वाले छात्रों के कुल प्रतिशत से कम है तो विद्यालय को फोर स्टार रैंकिंग दी जाएगी।
थ्री स्टार-विद्यालय में प्रथम आने वाले छात्रों का प्रतिशत राज्य स्तर पर प्रथम आने वाले छात्रों के प्रतिशत से तो अधिक है, लेकिन उस विद्यालय का परिणाम बोर्ड के कुल परिणाम से कम है तो उस विद्यालय को थ्री स्टार रैंकिंग मिलेगी।
टू स्टार- विद्यालय का परिणाम और प्रथम श्रेणी से उतीर्ण होने वाले छात्रों का प्रतिशत बोर्ड के परिणाम और प्रथम आने वाले छात्रों के परिणाम से कम है तो विद्यालय को टू स्टार रैकिंग मिलेगी।
फैक्ट फाईल ब्लॉक स्कूल
बाड़मेर – 18 बायतु- 14
सेड़वा – 14 धोरीमन्ना – 13
सिणधरी -8, सिवाना-7
गुड़ामालानी – 7 रामसर – 6
गडरारोड -6 शिव – 5
पाटोदी- 5 गिड़ा -5,
चौहटन – 4
बाड़मेर – 18 बायतु- 14
सेड़वा – 14 धोरीमन्ना – 13
सिणधरी -8, सिवाना-7
गुड़ामालानी – 7 रामसर – 6
गडरारोड -6 शिव – 5
पाटोदी- 5 गिड़ा -5,
चौहटन – 4
धनाऊ -4,
कल्याणपुर – 3 बालोतरा 2 कम रेटिंग में शामिल विद्यालयों को बताना होगा कारण – यदि सरकारी विद्यालयों को फाइव स्टार से कम रेटिंग मिलती है तो इसका कारण बताना होगा। जानकारी के मुताबिक बोर्ड परीक्षा परिणाम में 40 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम देने वाले अध्यापकों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। इसके अलावा संस्थाप्रधान को कमियों की पहचान करते हुए उन्हें दूर करने के उपाय भी बताने होंगे।
कल्याणपुर – 3 बालोतरा 2 कम रेटिंग में शामिल विद्यालयों को बताना होगा कारण – यदि सरकारी विद्यालयों को फाइव स्टार से कम रेटिंग मिलती है तो इसका कारण बताना होगा। जानकारी के मुताबिक बोर्ड परीक्षा परिणाम में 40 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम देने वाले अध्यापकों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। इसके अलावा संस्थाप्रधान को कमियों की पहचान करते हुए उन्हें दूर करने के उपाय भी बताने होंगे।
एेसे चला शिक्षा नींव का सवाल – पत्रिका के अभियान शिक्षा नींव का सवाल अभियान के बाद यहां आमूलचूल परिवर्तन आया है। धोरीमन्ना के बालिका विद्यालय ने पम्फलेट प्रकाशित कर तीन साल पहले प्रदेश में नई सोच दी और अब हर सरकारी विद्यालय में विद्यालय की उपलब्धियों के पम्फलेट प्रकाशित हो रहे है।
– बाड़मेर में पहली बार शिक्षकों की योग्यता का बोर्ड डिस्प्ले कार्यालयों में होने लगा तो यह विचार भी प्रदेश स्तर तक गया और अब हर विद्यालय में शिक्षकों की योग्यता का बोर्ड लगने लगा है।
– जिले में चिकित्सकों की एक टीम पॉजीटिव सोच के साथ स्कूलों में पहुंचकर एक्सट्रा क्लासेज प्रारंभ की। पचास से अधिक स्कूलों में चिकित्सकों व चिकित्सा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों का पहुंचना एक अनुपम उदाहरण बना।
– जिले में दसवीं व बारहवीं कक्षाओं वाले कई स्कूलों में सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों ने भी एक्सट्रा क्लास लगाकर पढ़ाना शुरू किया है। इससे विद्यालयों में शिक्षण का स्तर सुधरा है।