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शिक्षक हो या सहायक कर्मचारी, हर चौथा पद है खाली

locationबाड़मेरPublished: Oct 18, 2021 12:52:35 am

Submitted by:

Dilip dave

– सरकारी विद्यालयों में स्टाफ का टोटा, विद्यार्थियों के लिए परेशानी का बना सबब

शिक्षक हो या सहायक कर्मचारी, हर चौथा पद है खाली

शिक्षक हो या सहायक कर्मचारी, हर चौथा पद है खाली

दिलीप दवे बाड़मेर. प्रदेश में कोरोना संकट का खतरा तो कम हो गया है लेकिन शिक्षण व्यवस्था पर अभी भी पद रिक्तता का संकट मंडरा रहा है। राज्य के सरकारी विद्यालयों में करीब एक चौथाई पर रिक्त होने से पढ़ाई के साथ-साथ प्रशासनिक कार्यों को लेकर भी दिक्कतें आ रही है। स्थिति यह है कि ३३०० से अधिक विद्यालय संस्था प्रधान के बगैर संचालित हो रहे हैं तो नौ हजार से अधिक व्याख्याताओं के पद खाली हैं। सहायक कर्मचारी तो ७० फीसदी स्कू लों में नहीं है जबकि साठ प्रतिशत विद्यालय बिना लाइब्रेरियन के हैं।
इसका असर यह है कि कहीं दो-तीन कक्षाएं एक साथ संचालित हो रही है तो कहीं तृतीय श्रेणी व द्वितीय श्रेणी अध्यापक व्याख्याताओं की जगह शिक्षण करवा रहे हैं। प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में बढ़ते नामांकन के अनुरूप पद स्वीकृत तो दूर की बात पूर्व में स्वीकृत पदों पर भी पर्याप्त संख्या में शिक्षक व अन्य कार्मिक नहीं है। इसका असर शिक्षण व्यवस्था के साथ शिक्षा की गुणवत्ता पर भी पड रहा है। गौरतलब है कि अब जबकि कोरोनाकाल के बाद स्कू ल खुले हैं तो डेढ़ साल बाद अध्यापकों का टोटा शिक्षार्थियों व अभिभावकों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।
प्रदेश में प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, व्याख्याता, वरिष्ठ शिक्षक, अध्यापक लेवल प्रथम व द्वितीय के पदों की रिक्तता का सीधा असर सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। कई जगह तो कुछ सालों से क्रमोन्नति के बाद सीनियर सैकेण्डरी स्कू लों में व्याख्याता नहीं लगे हैं, जिस पर वरिष्ठ अध्यापक ही शिक्षण कार्य करवा रहे हैं।
प्रशासनिक कार्य को लेकर कनिष्ठ सहायक, वरिष्ठ सहायक की नियुक्ति नहीं होने पर शिक्षक उक्त कार्य कर रहे हैं जो दाद में खाज साबित हो रहा है।

सह शैक्षणिक गतिविधि पर भी पद रिक्तता की मार– पद रिक्तता का आलम यह है कि शारीरिक शिक्षकों के ४८२३ विद्यालयों में पर खाली है। इसके चलते यहां सह शैक्षणिक गतिविधियां ठप है। बच्चों को खेलकू द, व्यायाम आदि भी नहीं करवाया जा रहा।
इधर आमजन को विरोध, उधर स्थानांतरण- सीमावर्ती जिले बाड़मेर सहित कई जिलों में पद रिक्तता की सर्वाधिक मार है। यहां पहले से ही पद रिक्त हैं तो दूसरी ओर अभी वरिष्ठ अध्यापक, व्याख्याता, प्रधानाध्यापक आदि के स्थानांतरण किए गए जिसमें कई स्कू लों में गिने-चुने ही शिक्षक बचे हैं। इस पर आमजन विरोध कर रहा है लेकिन दूसरी ओर पद खाली हो रहे हैं।
पद रिक्तता से पढ़ाई प्रभावित- पद रिक्तता से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सरकार विभिन्न भर्तियां निकाल जल्द ही शिक्षकों की नियुक्ति करे जिससे कि सरकारी स्कू लों का शिक्षण स्तर बेहतर हो सके।- बसंतकुमार जांणी, जिलाध्यक्ष वरिष्ठ शिक्षक संघ बाड़मेर
भर्ती के बाद हालात सुधरे- हमारी सरकार बनने के बाद विभिन्न भर्तियों के तहत व्याख्याता, वरिष्ठ शिक्षक, शिक्षक आदि की नियुक्तियां की गई है, जिसके बाद हालत सुधरे हैं। हाल ही में रीट की परीक्षा हुई है, जिसके बाद तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती होने से स्थिति बेहतर होगी। आगे भी प्रयास रहेगा कि अधिक से अधिक शिक्षक लगा बेहतर शिक्षण व्यवस्था की जाए।- मेवाराम जैन, विधायक बाड़मेर
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