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पातासर गांव का भीखाराम 26 अप्रेल 1995 को जाट रेजिमेंट में दाखिल हुआ। मई 1999 में करगिल में गश्तीदल में शामिल था। इस दौरान पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी की। 14 मई को लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के साथ छह जाबांजों को पाकिस्तान में बंधक बना लिया।
इन्हें अमानवीय यातनाएं दी। नृशंसतापूर्वक आंख, नाक व गुप्तांग काटे गए लेकिन भीखाराम सहित अन्य ने देश के प्रति कत्र्तव्य को नहीं झुकने दिया। सात दिन बाद इनके पार्थिव शरीर मिले।
ये भी पढ़े…कारगिल की कहानियाँ पांच साल हुए थे शादी को भीखाराम के पिता आरएसी पुलिस में थे और जोधपुर में नौकरी की। भीखाराम की शादी 1994 में भंवरीदेवी से हुई। भीखाराम शादी के पांच साल बाद ही
शहीद हो गए। भीखाराम के शहीद होने के बाद उसके पुत्र का जन्म हुआ।
स्कूल का नाम शहीद के नाम- शहीद भीखाराम की अंतिम यात्रा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई लोग पहुंचे। यहां शहीद के नाम पर स्कूल है,जहां उनकी प्रतिमा लगी है। हर साल
शहीद को श्रद्धांजलि दी जाती है।