अन्नपूर्णा योजना में विद्यालयों को अगस्त का भुगतान किया गया है। अक्टूबर का प्रथम सप्ताह बीत चुका है, लेकिन अभी तक सितम्बर का भुगतान नहीं किया गया है। जानकारी अनुसार एक पखवाड़ा पूर्व जिले के 17 बीइइओ कार्यालयों ने जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक को योजना के बिल भेजे थे। जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक का पद रिक्त होने पर जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक कार्यभार संभाले हुए हैं, लेकिन अभी तक भुगतान नहीं किया गया है।
दूध से वंचित नहीं रह जाए छात्र- जिले में 17 बीइइओ कार्यालय है। इनके क्षेत्राधिकारी में बड़ी संख्या में प्राथमिक-उच्च प्राथमिक विद्यालय है। जिनमें लाखों छात्र पढ़ते हंै। एक सामान्य प्राथमिक विद्यालय में 50 छात्र अध्ययनरत होने पर इनके लिए प्रतिदिन 7-8 किलो दूध चाहिए। प्रतिदिन 260-280 रुपए का दूध आने पर संस्था प्रधानों के सिर पर करीब 5 से 6 हजार रुपए उधार हैं। गांवों में डेयरी नहीं होने पर संस्था प्रधान स्थानीय पशुपालकों से दूध खरीदते हैं। इन्हें पशुओं के चारा-दाना, पशुआहार-पानी के लिए आठ-दस दिन में पैसों की जरूरत रहती है। ऐसे में बकाया भुगतान नहीं करने पर इनके दूध बंद करने पर कभी भी छात्रों को इससे वंचित रहना पड़ सकता है।
योजना संचालन में परेशानी- अन्नपूर्णा दूध योजना में बिल बनाकर बीइइओ कार्यालय में प्रस्तुत किए थे। सितम्बर का भुगतान नहीं किया। इस संबंध में पूछताछ करने पर बाड़मेर से पैसे जारी नहीं करना बता रहे हैं। बगैर पैसे योजना संचालित करना दिन ब दिन मुश्किल हो रहा है। – प्रेमसिंह राठौड़, संस्था प्रधान राप्रावि इंगोरिया नाडा
योजना संचालन में परेशानी- अन्नपूर्णा दूध योजना में बिल बनाकर बीइइओ कार्यालय में प्रस्तुत किए थे। सितम्बर का भुगतान नहीं किया। इस संबंध में पूछताछ करने पर बाड़मेर से पैसे जारी नहीं करना बता रहे हैं। बगैर पैसे योजना संचालित करना दिन ब दिन मुश्किल हो रहा है। – प्रेमसिंह राठौड़, संस्था प्रधान राप्रावि इंगोरिया नाडा