script

दूध योजना में बजट अटका, संस्था प्रधान परेशान, कैसे चलाएं योजना

locationबाड़मेरPublished: Oct 08, 2018 09:11:38 pm

Submitted by:

Dilip dave

अन्नपूर्णा दूध योजना में सितम्बर का नही हुआ भुगतान

दूध योजना में बजट की अटका, संस्था प्रधान परेशान, कैसे चलाएं योजना

दूध योजना में बजट की अटका, संस्था प्रधान परेशान, कैसे चलाएं योजना


बालोतरा.

अन्नपूर्णा दूध योजना के अटके पैसे पर जहां एक ओर जिले भर के प्राथमिक-उच्च प्राथमिक विद्यालयों के हजारों संस्था प्रधानों की मुसीबतें बढ़ गई है, वहीं दूसरी ओर देरी से भुगतान पर लाखों छात्रों को दूध से वंचित रहना पड़ सकता है। शिक्षा विभाग के योजना के एक माह के बकाया राशि का भुगतान नहीं करने से यह स्थिति पैदा हो गई है। प्रदेश सरकार की ओर से शिक्षा विभाग को बजट जारी किया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक का पद रिक्त होने से यह स्थिति पैदा हो गई है।
प्रदेश के बालक हष्ट-पुष्ट, स्वस्थ एवं कुपोषण से मुक्त रहें, इस उद्देश्य को लेकर प्रदेश सरकार ने राज्य में अन्नपूर्णा दूध योजना प्रारंभ की थी। करीब चार माह पूर्व प्रारंभ की इस योजना में राजकीय प्राथमिक- उच्च प्राथमिक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को शुरुआत में सप्ताह में तीन दिन दूध देने का प्रावधान था। इसमें कक्षा पहली से पांचवी तक के छात्रों को 150 एमएल व कक्षा छठीं से आठवीं तक के छात्रों को 200 मिली दूध देने के प्रावधान है। शुरुआत के महिनों में सरकार के आदेश पर सप्ताह में तीन दिन तक छात्रों को दूध दिया गया। इसके बाद सरकार ने स्कूल संचालन अवधि के समस्त छह दिनों तक छात्रों को दूध देने के आदेश दिए। इस पर छात्रों को प्रतिदिन दूध दिया जा रहा है।
अन्नपूर्णा योजना में विद्यालयों को अगस्त का भुगतान किया गया है। अक्टूबर का प्रथम सप्ताह बीत चुका है, लेकिन अभी तक सितम्बर का भुगतान नहीं किया गया है। जानकारी अनुसार एक पखवाड़ा पूर्व जिले के 17 बीइइओ कार्यालयों ने जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक को योजना के बिल भेजे थे। जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक का पद रिक्त होने पर जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक कार्यभार संभाले हुए हैं, लेकिन अभी तक भुगतान नहीं किया गया है।
दूध से वंचित नहीं रह जाए छात्र- जिले में 17 बीइइओ कार्यालय है। इनके क्षेत्राधिकारी में बड़ी संख्या में प्राथमिक-उच्च प्राथमिक विद्यालय है। जिनमें लाखों छात्र पढ़ते हंै। एक सामान्य प्राथमिक विद्यालय में 50 छात्र अध्ययनरत होने पर इनके लिए प्रतिदिन 7-8 किलो दूध चाहिए। प्रतिदिन 260-280 रुपए का दूध आने पर संस्था प्रधानों के सिर पर करीब 5 से 6 हजार रुपए उधार हैं। गांवों में डेयरी नहीं होने पर संस्था प्रधान स्थानीय पशुपालकों से दूध खरीदते हैं। इन्हें पशुओं के चारा-दाना, पशुआहार-पानी के लिए आठ-दस दिन में पैसों की जरूरत रहती है। ऐसे में बकाया भुगतान नहीं करने पर इनके दूध बंद करने पर कभी भी छात्रों को इससे वंचित रहना पड़ सकता है।
योजना संचालन में परेशानी- अन्नपूर्णा दूध योजना में बिल बनाकर बीइइओ कार्यालय में प्रस्तुत किए थे। सितम्बर का भुगतान नहीं किया। इस संबंध में पूछताछ करने पर बाड़मेर से पैसे जारी नहीं करना बता रहे हैं। बगैर पैसे योजना संचालित करना दिन ब दिन मुश्किल हो रहा है। – प्रेमसिंह राठौड़, संस्था प्रधान राप्रावि इंगोरिया नाडा

ट्रेंडिंग वीडियो