शहर में राज्य सरकार की अभय कंट्रोल व कमांड योजना के तहत 250 कैमरे लगने थे। इसके लिए जिला कलक्ट्रेट में एक साल पहले कंट्रोल रूम स्थापित किया गया। विभागों में तालमेल के अभाव में छह माह तक कंपनी को कैमरे लगाने के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिए एनओसी नहीं मिल पाई। एनओसी नहीं मिलने के चक्कर में काम अटक गया। उसके बाद सरकार परिवर्तित हो गई। अब कंपनी कह रही है कि भुगतान करवाओ। सरकार ने कंपनी का भुगतान नहीं किया। ऐसे में कंपनी काम अधूरा छोड़ लौट गई। इधर, पुलिस के 10 कैमरों व 50 ऑफ लाइन कैमरों के लिए पुलिस की टीम कंट्रोल रूम में 24 घंटे कार्यरत है।
सूचना एवं प्रोद्यौगिकी विभाग व पुलिस अधीक्षक ने शहर में कैमरे संचालित करने को लेकर राज्य सरकार को कई बार पत्र भेजे हैं। लेकिन कोई काम नहीं हो पाया है। ऐसे में शहर में निर्भय रहने की योजना ठण्डे बस्ते में चल रही है।
कंट्रोल रूम में शहर में लगने वाले 250 कैमरे से नजर रहती। यहां किसी भी आपराधिक घटना की कैमरे के जरिए जानकारी मिलने पर संबंधित थाने की पुलिस को तत्काल सूचित करने के बाद सीसीटीवी से पूरी तरह आपराधिक वारदात पर नजर रखी जाती। लेकिन योजना अधरझूल होने पर ऐसा कुछ नहीं हो पाया।
– 4 पुलिस ऑपरेटर रखेंगे पैनी नजर – 2 वायरलैस ऑपरेटर
– 250 स्थानों पर शहर में लगने थे कैमरे —
– कंपनी वापस आई नहीं, मामला अटक गया
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