जिला अस्पताल में देखने पर ऐसा कहीं नहीं लगता कि यहां मरीजों से मिलने वालों के लिए कोई समय निर्धारित है या अधिक लोगों के आने पर मनाही है। जितनी देर चाहे कोई भी अस्पताल के वार्ड में रुक सकता है। यहां पर कोई टोकने वाला भी नहीं है न सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरती जा रही है।
सबसे संवेदनशील वार्ड आइसीयू के ये हाल आइसीयू अस्पताल का सबसे संवेदनशीन वार्ड है। लेकिन यहां भी मरीज को आराम जैसा कुछ नहीं मिलता। एक-एक कमरे में चार से पांच लोग मरीज के आसपास जमा रहते हैं। नियमानुसार तो एक भी अटेंडेंट वार्ड में नहीं रुक सकता है। ज्यादा जरूरत है तो इसके लिए एक व्यक्ति को अनुमति मिल सकती है। लेकिन यहां तो तस्वीर ही अलग है। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीज के आसपास लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। जबकि ऐसे मरीज से चिकित्सक भी ज्यादा बातचीत से मना करते हैं। लेकिन यहां नर्सिंगकर्मी भी किसी को टोकते नजर नहीं आए और सुरक्षाकर्मी तो दूर-दूर तक नहीं दिखा।
वार्ड में ही खाते हैं खाना अस्पताल परिसर में कुछ भी खाना स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। लेकिन यहां मरीजों के साथ आए परिजन तो वार्ड के भीतर ही घर से लाया खाना खा रहे हैं। अस्पताल के करीब सभी वार्ड में ऐसा ही दृश्य कभी भी देखा जा सकता है।
जमावड़ा इतना कि नर्सिंगकर्मी भी परेशान अस्पताल के फिमेल सर्जिकल यूनिट 1-3 में मरीजों से करीब चार गुना तो परिजन व अन्य लोगों का जमावड़ा था। लोग इतने अधिक थे कि नर्सिंगकर्मी को मरीज तक पहुंचने में भी परेशानी हो रही थी। वार्ड में बैठने की जगह नहीं मिली तो कई लोग गैलरी में बैठे नजर आए।
पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड महिलाओं की बेहतर देखभाल के इस वार्ड का हाल भी अन्य जैसा ही था। वार्ड को संक्रमण के लिए बचाने के लिए विशेष एहतियात बरती जाती है। लेकिन यहां पर भी कई महिलाएं खाना खा रही थीं। कोई रोक-टोक नहीं थी। यहां तक कि आसपास से नर्सिंगकर्मी व वार्ड में ड्यूटी करने वालों ने वार्ड में खाना खाने से नहीं रोका।
एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं अस्पताल में वार्ड में अधिक भीड़ नहीं हो इसके लिए सुरक्षाकर्मी लगाए जाते हैं। कहने को तो अस्पताल में 6-8 होमगार्ड लगाए गए हैं। लेकिन एक भी होमगार्ड यहां ड्यूटी पर नहीं दिखा। वार्ड तक तो शायद कभी पहुंचता ही नहीं होगा।
शोर से मरीज होते हैं परेशान वार्ड में परिजन व अन्य लोगों का जमावड़ा होने से शोर मचा रहता है। ऐसे में कई मरीज परेशान होते हैं। इससे उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। लेकिन लोगों को तो जैसे उनसे कोई मतलब ही नहीं है।
व्यवस्थाओं को ठीक किया जाएगा अस्पताल में मरीजों से मिलने का समय तो निर्धारित नहीं है। आइसीयू में मरीज के साथ एक व्यक्ति ठहर सकता है। व्यवस्थाओं को ठीक किया जाएगा।
बीएल मंसूरिया, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, राजकीय चिकित्सालय,बाड़मेर