scriptसालों से नहीं बढे़ कोच, यात्रियों का निकल रहा कचूमर | Coach does not grow for years, travelers get out of Kachumar | Patrika News

सालों से नहीं बढे़ कोच, यात्रियों का निकल रहा कचूमर

locationबाड़मेरPublished: May 19, 2019 09:36:52 pm

Submitted by:

Dilip dave

– कम कोच से यात्रियों को झेलनी पड़ती परेशानी- लगेज कोच में बैठने को मजबूर यात्री

सालों से नहीं बढे़ कोच, यात्रियों का निकल रहा कचूमर

सालों से नहीं बढे़ कोच, यात्रियों का निकल रहा कचूमर

बालोतरा. जोधपुर-बाड़मेर रेलमार्ग पर संचालित साधारण-एक्सप्रेस रेलगाडिय़ों में नाममात्र लगाए जाने वाले कोच से यात्रियों का कचूमर निकला जा रहा है। रेलवे स्टेशनों पर रेलगाडिय़ों के दो-पांच मिनट के ठहराव पर यात्रियों के लिए रेल से उतरना व चढऩा मुश्किल हो गया है। आपाधापी की स्थिति में हर दिन हजारों यात्री परेशानी उठाते हैं। कई वर्षों से यह स्थिति होने के बावजूद रेलवे प्रशासन रेलगाडिय़ों में अतिरिक्त कोच नहीं लगा रहा है। इससे यात्रियों में रोष है।
इस रेलमार्ग पर पांच वर्ष पूर्व जितनी रेलगाडिय़ां संचालित होती थी, आज भी उतनी ही हो रही हैं। जबकि इन वर्षों में यात्री भार में कई गुणा बढ़ोतरी हुई है। परिवहन के अन्य साधनों में रेलवे का किराया सबसे कम होने पर सर्वाधिक लोग रेलगाडिय़ों से यात्रा करते हैं। ऐसे में रेलगाडिय़ों में पूर्व जितने ही कोच लगने पर इनमें सवार यात्रियों को हर दिन बड़ी परेशानी उठानी पड़ती है।
कम कोच, अधिक यात्री बोझ

जोधपुर- बाड़मेर रेलवे मार्ग पर हर दिन पांच-पांच साधारण व एक्सप्रेस रेलगाडिय़ां संचालित होती हैं। यशवंतपुरम व गुवाहाटी एक्सप्रेस साप्ताहिक संचालित होती है। पांच नियमित रेलगाडिय़ां संचालित होने व इनमें कम कोच होने पर यात्री परेशानी उठा रहे हैं। पिछले कुछ सालों से रेलगाडि़यों में अतिरिक्त कोच नहीं लगाए गए हैं, जबकि यात्री भार कई गुणा बढ़ गया है। रेलवे स्टेशन बालोतरा से प्रतिदिन 3500 यात्री यात्रा करते हैं। त्योहार, शादियों, अवकाश के सीजन में इनकी संख्या 4000 से 4500 तक पहुंच जाती है।
सीट तो दूर खड़े होने को नहीं जगह

जोधपुर-बाड़मेर रेलगाडिय़ों में कम कोच यात्रियों के लिए बड़ी परेशानी बने हुए हंै। सामान्य दिनों ही में इन रेलगाडिय़ों में बैठने के लिए आसानी से जगह नहीं मिलती। यात्री गैलेरी में खड़े रहकर यात्रा करते हैं। त्योहार, शादियों व अवकाश के दिनों में रेलगाडिय़ों में सवार होना, जंग जीतने जैसा होता है। कोच क्षमता से पांच से छह गुणा अधिक यात्री यात्रा करते हैं।
यात्री बढ़े कोच नहीं
सालों से बाड़मेर-जोधपुर के बीच चलने वाली रेलगाडि़यों में कोच नहीं बढ़ाए गए हैं, जबकि यात्री हर वर्ष बढ़ रहे हैं। हर दिन हजारों यात्री परेशानी उठाते हैं। – जितेन्द्र, यात्री

खड़े होने की जगह नहीं
जोधपुर-बाड़मेर रेलमार्गकी रेलगाडिय़ों में यात्रा करना चुनौती है। सामान्य दिनों में ही बैठने को तो दूर खड़े रहने के लिए जगह नहीं मिलती है। – साबिर खां, यात्री

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