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कॉलेज खोले नाम के… बिन सुविधाएं नहीं काम के

बाड़मेर जिले के अंतिम सरहदी कस्बे गडरारोड में राजकीय महाविद्यालय को शुरू हुए 4 वर्ष बीतने को है, लेकिन विद्यार्थियों को अब तक कॉलेज भवन उपलब्ध नहीं हो पाया है। जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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कॉलेज खोले नाम के... बिन सुविधाएं नहीं काम के

बाड़मेर. खुले में अध्ययन करते विद्यार्थी।

बाड़मेर.
बाड़मेर जिले के अंतिम सरहदी कस्बे गडरारोड में राजकीय महाविद्यालय को शुरू हुए 4 वर्ष बीतने को है, लेकिन विद्यार्थियों को अब तक कॉलेज भवन उपलब्ध नहीं हो पाया है। जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले चार साल से अस्थायी तीन कमरों में कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। जहां विद्यार्थियों की संख्या अधिक होने से व्यवस्था पर्याप्त नहीं है।
इन समस्याओं से बेहाल
- सप्ताह मे बारी-बारी से कक्षाएं लगाई जा रही हैं।
- कॉलेज के स्थायी प्राचार्य ही नहीं है।
- विद्या संबल के माध्यम से अस्थायी शिक्षक उपलब्ध।
- एक प्राइमरी स्कूल की भांति छोटे छोटे कक्षों में नीचे बैठकर ब्लैक बोर्ड पर पढऩा होता है। ब्लैक बोर्ड पर दिखाई ही देता है।
- पीने का पानी, बिजली सुविधा नहीं है। गर्मियों में बिना पंखों में बैठना भी मुश्किल हो जाता है।
- परीक्षा केंद्र बाड़मेर में होने से प्रत्येक स्टूडेंट्स को बसों के माध्यम से दूरी तय करनी पड़ती है।

केवल अनावरण का इंतजार
गडरारोड कॉलेज का नवनिर्मित भवन बनकर तैयार है केवल अनावरण के इंतजार में हैं।
विरोध प्रदर्शन किया
इस समस्याओं को लेकर छात्रों द्वारा कई बार विरोध प्रदर्शन किए गए। इसी दिसम्बर में छात्र अनशन पर बैठ गए थे जिन्हें समाप्त करवाया गया था। 26 जनवरी तक नवनिर्मित कॉलेज भवन सुपर्द करने का विश्वास भी दिया गया।

यह बोले छात्र
हमारी मांग है कि महाविद्यालय भवन का शीघ्रता शीघ्र अनावरण कर सौंपा जाए। साथ ही नियमित कक्षाओं के लिए स्थानीय प्राचार्य (नॉडल) की व्यवस्था की जाएं।
- शाहरुख खान, छात्र प्रतिनिधि
स्थानीय कॉलेज में सुदूर सीमावर्ती गांव ढाणियों से बड़ी संख्या में छात्राएं पढऩे आती है, लेकिन अंतिम सरहदी ग्राम पंचायत सुंदरा, रोहिड़ी, बिजावल, खबड़ाला, द्राभा के सैकड़ों विद्यार्थियों को दो सौ किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय बाड़मेर परीक्षा देने जाना पड़ता है।
- भाग्य श्री, छात्रा प्रतिनिधि
रेगिस्तानी इलाका होने से यहां आज भी कई गांवों में नेटवर्क सुविधा उपलब्ध नहीं है। सड़कों का भी अभाव है। हर बार रिक्त पदों पर ऑफलाइन प्रवेश दिए जाते रहे हैं, लेकिन इस बार कॉलेज के रिक्त पदों पर ऑफलाइन प्रवेश प्रक्रिया शुरू ही नहीं की गई। जिसका खामियाजा कई छात्रों की भुगतना पड़ा। बॉर्डर के दूरस्थ स्थानों के कई छात्र प्रवेश लेने से वंचित रह गए।
- कपिल वणल, छात्र प्रतिनिधि
गडरारोड़ कॉलेज में तीन सत्र पूरे हो चुके है। परीक्षा केंद्र बाड़मेर में है। सुंदरा से 170 किमी दूर परीक्षार्थियों के लिए यह सबसे बड़ी समस्या है। जब कॉलेज भवन बनकर तैयार है तो फिर क्यों देरी की जा रही हैं।
- खुमाण दान, कॉलेज छात्र
शीघ्र हैण्डओवर होगा
अभी हाई स्कूल में संचालित है। हैण्डओवर होना है। बिजली, पानी, ट्युबवेल की सुविधा के लिए लिखा है। जैसे ही हैण्डओवर होकर प्रक्रिया पूरी होगी, भवन में कॉलेज संचालित होगा।
- मुकेश पचौरी, नोडल प्राचार्य


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