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दो वर्ष बाद जारी हुआ मुआवजा, आधे किसानों को अभी भी इंतजार

locationबाड़मेरPublished: Jan 23, 2020 10:21:11 pm

Submitted by:

Ratan Singh Dave

– बीमा कंपनी ने 226 करोड़ मुआवजा राशि करवाई जमा, 250 करोड़ जमा होना शेष- वंचित किसान बैंकों के काट रहे चक्कर

Compensation released after two years, half farmers still waiting

Compensation released after two years, half farmers still waiting

बालोतरा. खरीफ फसल 2018 के खराबे का डेढ़ माह पूर्व बीमा कंपनी से मुआवजा स्वीकृत किया था, लेकिन आज भी अधिकांश इससे वंचित है। मुआवजा राशि के लिए वे बंैकों के चक्कर काट रहे हंै, जहां से उन्हें कोई संतोषप्रद जबाब नहीं मिल रहा है।
अकाल पीडि़त किसानों ने शीघ्र मुआवजा मिलने की उम्मीद लगाई थी, लेकिन फसल खराबे व मुआवजा को लेकर सरकार व बीमा कंपनी के बीच में सहमति नहीं बनने डेढ़ वर्ष तक मामला अटका रहा। करीब डेढ़ माह पूर्व बनी सहमति पर 500 करोड़ का मुआवजा देने पर सहमति बनी।
मुआवजा की आधी राशि ही स्वीकृत –

डेढ़ माह पूर्व करीब 500 करोड़ मुआवजा राशि स्वीकृत करने पर परेशान किसानों ने कुछ राहत महसूस की, लेकिन अभी भी हजारों किसान मुआवजे की बाट जोह रहे हैं। जानकारी अनुसार दस जनवरी तक बीमा कंपनी ने 226 करोड़ रुपए मुआवजा के रूप में किसानों के खाते में जमा करवाए हैं।
इससे करीब 80 हजार से अधिक किसान लाभवान्वित हुए हैं। 250 करोड़ से अधिक मुआवजा राशि किसानों के खाते में जमा की जानी शेष है। 60 से 70 हजार किसान अभी भी मुआवजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
बैंकों के चक्कर लगा रहे धरतीपुत्र –

बीमा कंपनी के आधी अधूरी मुआवजा राशि किसानों के खातों में जमा करवाने पर वंचित किसानों की परेशानियां बढ़ गई है। जनवरी बीतने में एक सप्ताह शेष है, लेकिन अभी तक किसी को यह जानकारी नहीं है कि इस समयावधि तक किसानों के खाते में राशि जमा हो जाएगी। इस पर वंचित किसानों की परेशानी बढ़ गई है। वे बंैकों के चक्कर लगाते लगाते परेशान हो गए हंै।
चक्कर काटते-काटते थक गए-

फसल खराबे के दो वर्ष बाद भी किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। मुआवजा के लिए बैंक के चक्कर काटते-काटते थक गए हैं। कंपनी शीघ्र मुआवजा दे।

– आसुसिंह राजपुरोहित, माजीवाला
अधिकांश किसानों को इंतजार-

जिले में अभी भी अधिकांश किसानों के खाते में मुआवजा राशि जमा नहीं की है। बैंक के कई चक्कर लगा चुका हूं, लेकिन कोई जबाब नहीं मिल रहा है।
– लालसिंह सिसोदिया, असाड़ा

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