शहर के रॉय कॉलोनी निवासी दामोदास पुत्र जयरामदास शारदा की मंगलवार को राजकीय अस्पताल में मृत्यु हो गई। मौत के बाद यहां मौजूद बेटियों का रो-रोकर बुुरा हाल होने लगा। परिजनों ने बेटियों को घर ले जाने कहा लेकिन वे बोली कि पिता के अंतिम संस्कार में जाएंगी, उनके पिता उनके लिए सबकुछ थे। शव को एम्बुलेंस के जरिए श्मशान घाट पहुंचाया। जहां कोरोना गाइडलाइन के अनुसार अंतिम संस्कार हुआ। कपाल क्रिया के बाद सब परिजन जाने लगे तो अंतिम लकड़ी देने पहुंची सबसे छोटी बेटी चन्द्रकला (30)पिता की जलती चिता में कूद गई। अचानक हुई इस घटना ने मौजूद परिजनों के होश उड़ा दिए। श्मशान में हाहाकर मच गया। जलती चिता से युवती को निकालने के लिए नगर परिषद के कार्मिक और परिजन दौड़े और जैसे-तैसे निकालकर अस्पताल लेकर आए। चिकत्सकों ने बताया कि 70 प्रतिशत तक जल गई है और उसकी हालत गंभीर है। सूचना मिलने पर कोतवाली थाना पुलिस मौके पर पहुंची।
चार बेटियां,पिता पर छिड़कती प्राण
मृतक दामोदार के चार पुत्रियां व एक पुत्र है। पुत्र करीब बीस सालों से बाहर रहता है। एक बेटी विवाहित है शेष तीनों बेटिया साथ रहती है। बताया गया कि दामोदरदास का एक हाथ करीब 25 साल पहले बीमारी के कारण काट दिया गया था। तीनों बेटियां पिता का पूरा ख्याल रखती थी। जब भी पिता किसी काम से बाहर जाते एक न एक बेटी साथ रहती। रात को साथ वाकिंग करते और सुबह काम से बाहर निकलते समय दामोदर और बेटी चंद्रकला के अपनत्व की लोग मिसाल भी देते थे।
दामोदर करता रहा बेटियों के लिए संघर्ष…
दामोदर विकलांग था। राज्य सरकार ने दो बीघा जमीन मिली और एक पेट्रोल पंप अलॉट हुआ। खुद संचालन में असक्षम था तो एक व्यक्ति को दे दिया। इस व्यक्ति ने अनियमितता की,तब जिला रसद अधिकारी ने पेट्रोल पंप का लाइसेंस रद्द करने की अनुशंसा की। जिला कलक्टर ने जांच के बाद आदेश किया कि इसमें दामोदर का दोष नहीं है, लाइसेंस बहाल किया जाए। इधर तेल कंपनी ने कलक्टर के आदेश से पहले पेट्रोल पंप खारिज कर दिया। दामोदर इसके लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहा था। उसकी बेटियां पिता के इस संघषज़् में सहारा बनी हुई थी। कोरोना ने इस संघर्षशील परिवार को उजाड़ दिया। अब परिवार के सामने संकट खड़ा हो गया है।