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करोड़ों की जमीन जायदाद भाइयों पर न्यौछावर कर चुकी है बाड़मेर की बहनें

locationबाड़मेरPublished: Aug 15, 2019 09:14:51 am

Submitted by:

Ratan Singh Dave

– रक्षा बंधन विशेष- बेटियों को कानूनन मिला है पैतृक संपत्ति में हक, बहनों ने कहा- हमारी नहीं भाइयों की संपत्ति
– तेल-गैस के लिए बंटा करोड़ों का मुआवजा, बेटियों नहीं लिया हिस्सा- द्विफसली इलाकों में जमीन की कीमत आसमां पर, बेटियां नहीं मांग रही हक
– रिफाइनरी क्षेत्र में भी बेटियों को नहीं चाहिए जमीन, कह रही भाई के घर खुशहाली
 
 

Daughters do not want land even in refinery area

Daughters do not want land even in refinery area

रतन दवे

बाड़मेर. लाखों-करोड़ों रुपए रातोंरात मिल रहे हों और वो भी कानूनन हक के साथ तो भला कौन छोड़ेगा? आज के जमाने में तो यह कल्पना नहीं की जा सकती है, लेकिन ‘बेटी’ के नाते मिले इस हक को ‘बहन’ के रिश्ते ने ‘भाइयों’ पर न्यौछावर कर दिया। बहनों का बड़ा दिल देखिए कि तेल-कोयले के लिए अवाप्त हुई जमीन ही नहीं द्विफसली इलाके में जहां लाखों रुपए की उपज हो रही है बहनों ने भाइयों के हिस्से में कोई किस्सा नहीं किया और उनको हंसी-खुशी कह दिया, “भाई, पिता की संपत्ति तुम्हारी है, हमें तो बस तुम्हारा प्यार-स्नेह चाहिए….”
पिछले दो दशक में बाड़मेर जिले में अरबों रुपए के वारे न्यारे कर रहे हैं। एक तरफ तेल का खजाना और दूसरी तरफ द्विफसली इलाका होने से अरबों की फसलों से पैदावार है। इसी दौर में 9 सितंबर 2005 को पैतृक संपत्ति में बेटियों को जन्म से हक दिया गया और इधर 55 लाख बीघा के करीब जमीन अवाप्त हुई, जिसका अरबों रुपए का मुआवजा संबंधित इलाकों में बंटने लगा, जिसमें लाखों-करोड़ों रुपए मिलने लगे। इसमें बेटियों का भी हक था, लेकिन 99 प्रतिशत मामलों में बेटियों ने संपत्ति नहीं मांगी।
2005 में हुआ संशोधन

– हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत पिता की मृत्यु पर बेटियां भी उत्तराधिकारी व पैतृक संपत्ति की हकदार मानी गई, लेकिन इसकी पालना नहीं हो रही थी। 9 सितंबर 2005 को इसमें संशोधन किया गया कि बेटी के जन्म से ही पिता की सम्पत्ति हकदार होगी।
केस-1
करोड़ों का मुआवजा बंटा, बहनों ने कहा ये रुपया भाइयों का

– बोथिया गांव में लिग्नाइट पॉवर प्लांट के लिए जमीन अवाप्त हुई। मुआवजा लाखों रुपए में मिला। रामसिंह बोथिया के तीन बहनें है, कानूनन हक बन रहा था, लेकिन बहन पप्पूकंवर, गीताकंवर और सुशियाकंवर ने अपने चारों भाइयों से कहा- यह तुम्हारा ही हक है, हमें नहीं चाहिए। (बोथिया गांव में ऐसे 99 प्रतिशत परिवार है)
केस-2
अरबों की फसलें लहलहा रही, बहनों ने कहा भाई खुश रहे

– भिंयाड़ गांव में जहां पानी की भयंकर किल्लत थी, एक दशक से द्विफसली इलाका हो गया। जमीन की कीमत आसमान छूने लगी है। बेटियों को पिता की संपत्ति में अधिकार मिला हुआ है। जहां हर साल में लाखों रुपए की फसलें होने लगी है वहां अपवाद को छोड़कर एक भी बहन ने अपने भाई से कृषि भूमि में हक नहीं मांगा है। उदाहरणाथज़् भिंयाड़ के गोपालसिंह और चार भाई है और दो बहनें हवाकंवर और चंदूकंवर है, लाखों की फसल कृषि कुओं से हो रही है, बहनों ने हक नहीं मांगा।
केस-3
रिफाइनरी लगी रही,बहिनें कहा पीहर में आएगी खुशहाली

– पचपदरा क्षेत्र में 43 हजार करोड़ की रिफाइनरी लग रही है। आसपास के दजज़्नों गांवों में जमीनों की कीमतें एक बार आसमान छू गई और खरीद-फरोख्त हुई। अब फिर बूम है, लेकिन बहनें इस बात से खुश है कि पीहर में खुशहाली है। पैतृक संपत्ति में यहां पर भी हक नहीं मांगा है। जसोल के ईश्वरसिंह कहते हैं कि कानून ने हक दिया है, लेकिन बहनें हक नहीं जताती, यह हमारे रिश्तों का प्रेम है।
इसे रिश्तों की मजबूती कहते हैं

– मैं रजिस्ट्रार कार्यालय से जिले से जुड़ा हूं। यह अधिकार मिलने के बाद ऐसा लगा था कि करोड़ों रुपए आएंगे तो लालच में रिश्तों में दरारें आएगी और हक के लिए जमीन में बेटियां हिस्सेदारी मांगेगी, लेकिन 99 प्रतिशत मामलों में ऐसा कहीं नहीं है। अपवाद स्वरूप ऐसे मामले आते हैं जिसमें गोदनामा या केवल बेटियां होने पर हिस्सा मांगा जाता है। भाई है तो पर फिर बहनें हक नहीं जताती।
-भीखाराम चौधरी, कामिर्क जिला रजिस्ट्रार कार्यालय

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