बेटी:ट्वीशा व प्रिशा माता-पिता: डॉ. माधुरी अग्रवाल व डॉ. रामकुमार
कार्यस्थल: मेडिकल कॉलेज बाड़मेर -आज मम्मी और पापा के साथ मेडिकल कॉलेज के अलग-अलग विभागों में आने का अनुभव हमेशा याद रहेगा। हमने जाना कि मम्मी-पापा यहां कैसे काम करते हैं। इससे ये पता चला कि वे कितनी मेहनत का काम कर रहे हैं।
कार्यस्थल: मेडिकल कॉलेज बाड़मेर -आज मम्मी और पापा के साथ मेडिकल कॉलेज के अलग-अलग विभागों में आने का अनुभव हमेशा याद रहेगा। हमने जाना कि मम्मी-पापा यहां कैसे काम करते हैं। इससे ये पता चला कि वे कितनी मेहनत का काम कर रहे हैं।
बेटी:दीया सिंघल
पिता: वासुदेव सिंघल कार्यस्थल: किराना स्टोर
-आज में पापा की दुकान पर पहली बार गई थी। मैंने देखा कि पापा कितनी मेहनत करते हैं। मैंने जाना कि पापा किस तरह ग्राहकों को सामान बेचते हैं। उनसे अकाउंट के बारे में भी जाना।
पिता: वासुदेव सिंघल कार्यस्थल: किराना स्टोर
-आज में पापा की दुकान पर पहली बार गई थी। मैंने देखा कि पापा कितनी मेहनत करते हैं। मैंने जाना कि पापा किस तरह ग्राहकों को सामान बेचते हैं। उनसे अकाउंट के बारे में भी जाना।
बेटी: अनु पिता: यमुना प्रसाद
कार्यस्थल: फोटो स्टूडियो -पापा के साथ आज स्टूडियो में आकर काफी अच्छा लगा। यहां मैंने कैमरा चलाना सीखा। साथ ही फोटो कैसे प्रिंट होती है इसके बारे में पापा ने बताया। यह अनुभव खास है।
कार्यस्थल: फोटो स्टूडियो -पापा के साथ आज स्टूडियो में आकर काफी अच्छा लगा। यहां मैंने कैमरा चलाना सीखा। साथ ही फोटो कैसे प्रिंट होती है इसके बारे में पापा ने बताया। यह अनुभव खास है।
बेटी : अवनी माथुर
पिता : अमित माथुर कार्यस्थल : प्रिंटिंग प्रेस
आज स्कूल के बाद पापा की प्रेस गई। बैनर और ऑफसेट मशीन को नजदीक से चलते देखना काफी रोमांचक़ था। हम रोज़ बड़े-बड़े होर्डिंग्स और बैनर्स देखते हैं लेकिन इन्हें कैसे बनाया जाता है, आज पता चला।
पिता : अमित माथुर कार्यस्थल : प्रिंटिंग प्रेस
आज स्कूल के बाद पापा की प्रेस गई। बैनर और ऑफसेट मशीन को नजदीक से चलते देखना काफी रोमांचक़ था। हम रोज़ बड़े-बड़े होर्डिंग्स और बैनर्स देखते हैं लेकिन इन्हें कैसे बनाया जाता है, आज पता चला।