ओस की बूंदों का भी शहीदों को नमन बाड़मेर.शहीद दिवस-30 जनवरी को मौसम ने करवट ली। अचानक आसमान में धुंध छाई और अलसुुबह जमीन और आकाश के बीच सफेद चादर बिछ गई। मोतियों की माला जैसे ओस की बूंदें जहां-जहां गिरी वहां-वहां नयनाभिराम दृश्य कुछ पल के लिए बने और बिखरते गए। इसी दौरान शहर के जसदेर तालाब पर एक कंटीली झाड़ी पर ओस की बूंदे गिरी तो शहीद स्मारक जैसी आकृति बन पड़ी। ऐसा लगा जैसे शहीद दिवस पर शहादत को नमन करता दिल छूने वाला दृश्य हों।
ओस की बूंदों का भी शहीदों को नमन बाड़मेर.शहीद दिवस-30 जनवरी को मौसम ने करवट ली। अचानक आसमान में धुंध छाई और अलसुुबह जमीन और आकाश के बीच सफेद चादर बिछ गई। मोतियों की माला जैसे ओस की बूंदें जहां-जहां गिरी वहां-वहां नयनाभिराम दृश्य कुछ पल के लिए बने और बिखरते गए। इसी दौरान शहर के जसदेर तालाब पर एक कंटीली झाड़ी पर ओस की बूंदे गिरी तो शहीद स्मारक जैसी आकृति बन पड़ी। ऐसा लगा जैसे शहीद दिवस पर शहादत को नमन करता दिल छूने वाला दृश्य हों।