अस्पताल के बर्नवार्ड के पास ही डायलिसिस मशीन को स्थापित किया गया है। कोलकाता की एक कंपनी की ओर से यहां स्टाफ नियुक्त किया गया है। कंपनी से हालांकि इसके लिए कुछ देरी हुई है लेकिन अब यह सुविधा प्रारंभ होने से किडनी के मरीजों को राहत मिलेगी।
पत्रिका ने मुद्दा नहीं छोड़ा
जिला मुख्यालय पर डायलिसिस मशीन स्थापित करने को लेकर पत्रिका ने मुद्दे को जिंदा रखा। वर्ष 2013 में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पत्रिका की ओर से ही यह पहल की गई कि जिले में डायलिसिस मशीन की जरूरत है। तत्कालीन राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने चिकित्सा मंत्री दुर्रू मियां से मुलाकात कर जिला मुख्यालय पर डायलिसिस मशीन की स्वीकृति दिलाई औैर सांसद हरीश चौधरी ने अपने नियतांष में से 12 लाख 50 हजार रुपए दिए लेकिन चुनाव के बाद चिकित्सालय प्रबंधन ने इस ओर
ध्यान नहीं दिया।
राज्य सरकार की घोषणा के दो साल बीते राज्य सरकार ने करीब दो साल पहले बजट में घोषणा की थी कि जिला मुख्यालयों पर डायलिसिस मशीन लगेगी। तब मरीजों को उम्मीद बंधी। लेकिन सरकार अनिर्णय की स्थिति में रही। डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई।
डेढ़ साल से पड़ी थी मशीन
करीब डेढ़ साल पूर्व यहां डायलिसिस मशीन आ गई और इसे स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही रही थी कि राज्य सरकार ने इसे अचानक पीपीपी मोड पर देने का निर्णय कर लिया। एेसे में मशीन यहां पड़ी रही और इसका कोई उपयोग नहीं हो पाया।
दो महीने पहले होनी थी स्थापित
दो माह पूर्व मशीन स्थापित करने के लिए कंपनी को अधिकृत किया था लेकिन कंपनी प्रतिनिधि एक बार आकर चले गए। होली से ठीक पहले वापस आए और अब दो जनों को नियुक्त कर इसे प्रारंभ किया गया है।
सुविधा शुरू हो गई
डायलिसिस की सुविधा प्रारंभ कर दी गई है। यह नि:शुल्क रहेगी। मरीजों को पूरा लाभ मिले एेसा प्रयास किया जाएगा। – डॉ. बी एल मंसूरिया, अधीक्षक संलग्न चिकित्सालय मेडिकल कॉलेज बाड़मेर