scriptधोरों में मुट्ठी से रेत की तरह खिसक रहा ‘दुबई’,आखिर ऐसा क्यों ? जानिए पूरी खबर | 'DUBAI' barmer slipped like a sand from the fist | Patrika News

धोरों में मुट्ठी से रेत की तरह खिसक रहा ‘दुबई’,आखिर ऐसा क्यों ? जानिए पूरी खबर

locationबाड़मेरPublished: Mar 15, 2018 10:17:21 am

Submitted by:

Ratan Singh Dave

फैक्ट फाइल
– 1.75 लाख बैरल प्रतिदिन तेल उत्पादन बाड़मेर में- 36 तेल कुओं की हो चुकी है अब तक खोज
– 43 हजार करोड़ मंे बनेगी रिफाइनरी

'DUBAI' barmer, slipped like a sand

‘DUBAI’ barmer slipped like a sand from the fist

बाड़मेर .बाड़मेर को दुबई बनाने का सपना 2004 में दिखाया गया और 2018 आते-आते एेसा लग रहा है रेत के धोरों से दुबई मुट्ठी से रेत की तरह खिसके जा रहा है औैर ठगा सा बाड़मेर देख रहा है। तेल बाड़मेर में मिला। रिफाइनरी जिला मुख्यालय से दूर पचपदरा में लग रही है। रिफाइनरी का कार्र्यालय जोधपुर में, पेट्रो स्टोरेज रिजर्ववायर बीकानेर में, पेट्रो केमिकल यूनिवर्सिटी जोधपुर में और पेट्रोकेमिकल हब अभी भी सपना है। बाड़मेर के हिस्से केवल दुबई बनने के किस्से ही रह गए हैं। 2004 में जब दुनिया का सबसे बड़ा जमीनी तेल भण्डार ‘मंगला Ó बाड़मेर में खोजा गया और 2009 से 2013 तक बाड़मेर केन्द्र सरकार को प्रतिदिन 40 और राज्य को 15 करोड़ का राजस्व देने लगा तब इस इलाके के दुबई बनने की बात हर एक जुबान पर थी।
सपनों और बातों में ही बनाया दुबई

थार के रेत के समंदर में तेल की खोज कर रही केयर्न कंपनी को 2004 में पहली बड़ी सफलता मिली, जब यहां मंगला तेल क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा जमीनी तेल का खजाना मिला। बाड़मेर को रातों रात देश दुनिया की सुर्खियों में ला दिया और देश की तेल की राजधानी बाड़मेर हो गया। जैसे ही तेल का खजाना मिला बाड़मेर की तुलना दुबई से कर दी गई और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि बाड़मेर दुबई बनेगा और तेल के बूते धोरों की यह धरती खुद की तस्वीर और तकदीर तो बदलेगी ही प्रदेश की भी आर्थिक राजधानी बन जाएगी। वर्ष 2005 में तेल के दो बड़े क्षेत्र की खोज हुई। उस समय के केन्द्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर और मुख्यमंत्री वसुंधराराजे यहां आए। भाग्यम और विजया तेल कुओं का नामकरण हुआ तो अय्यर ने पहली बार प्रदेशवासियों को कहा कि बाड़मेर में तेल की रिफाइनरी लग सकती है और यह क्षेत्र का भविष्य संवार देगी। फिर तो बाड़मेर रिफाइनरी की बात हर कोई करने लगा। 29 अगस्त 2009 को तेल का उत्पादन शरू हुआ। इस अवसर पर उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहनङ्क्षसह ने कहा था कि बाड़मेर दुबई बनेगा और तकदीर और तस्वीर बदल देगा।बाड़मेर के निकट बायतु के लीलाळा में रिफाइनरी को लेकर जमीन की तलाश शुरू हुई और यहां रिफाइनरी लगाने को लेकर राज्य व केन्द्र की टीमों ने किया निरीक्षण और लीलाळा में जमीन तय कर यहां रिफाइनरी लगाने का रखा गया प्रस्ताव।
2012 लीलाळा में विरोध और सपना हुआ यू-टर्न
बाड़मेर के दुबई बनने का सपना यहां नया मोड़ ले गया। लीलाळा में किसानों ने रिफाइनरी का विरोध प्रारंभ कर दिया। यहां राजनीतिक रूप से तीन धड़े हो गए और एेसी राजनीति हुई कि लोग माने ही नहीं। वे मुआवजे में प्रति बीघा एक करोड़ रुपए सहित कई मांगे करने लगे जिस पर लीलाळा का विकल्प तलाशा जाने लगा। सांभरा पचपदरा के लिए तो लीलाळा का यह विरोध घर बैठे गंगा जैसा रहा और सरकार ने यहां सरकारी जमीन को चिन्हित करते हुए यहां पर ही रिफाइनरी लगाने की प्रस्ताव बना दिया और यहां कांग्रेस की उस समय राष्ट्रीय अध्यक्ष रही सोनिया गांधी ने रिफाइनरी का शिलान्यास कर दिया। 2013 के विधानसभा चुनावों में सरकार बदलते ही सबकुछ बदल गया और रिफाइनरी पर राजनीति शुरू हो गई। चार साल तक रिफाइनरी को लेकर संशय के बादल रहे और 2018 आते-आते सरकार ने रिफाइनरी बाड़मेर में लगाने की स्वीकृति दी। 16 जनवरी को पचपदरा के पास सांभरा में रिफाइनरी का पुन: कार्यारंभ प्रधानमंत्री ने किया।
बाड़मेर से यूं खिसक रहा दुबई
बाड़मेर के दुबई बनने के सपने में केवल तेल शामिल नहीं था। यहां पर रिफाइनरी, रिफाइनरी से जुड़े बायो प्रोडेक्ट्स के कारखाने, स्कील डवलपमेंट का बड़ा हब, एज्युकेशन हब, पेट्रो केमिकल हब, क्रूड ऑयल रिजर्ववायर, तेक कंपनियों से जुड़े लोगों की अत्याधुनिक कॉलोनी, दुबई जैसी होटलें, सड़कें, पेयजल, परिवहन के साधन, हवाईसेवा, रेलसेवा, स्थानीय लोगों का स्किल डवलपमेंट, नेटवर्क कनेक्टिविटी सहित कई सुविधाएं 2004 से 2018 तक बाड़मेर आती तो यह दुबई बनता लेकिन इन सबमें अभी भी पिछड़ापन हावी है।
नहीं खुले विषय
बाड़मेर पॉलिटेक्निक कॉलेज में पेट्रो केमिकल के विषय खुलने थे। 2006 में इस सुविधा की स्वीकृति हुई लेकिन सरकार ने स्टाफ नहीं दिया। कंपनी यूं तो करोड़ों रुपए का स्टाफ विदेशों से बुलाती है और सीएसआर हैड को करोड़ों रुपए देती रही है लेकिन तीन-चार लेक्चरर नहीं उपलब्ध करवा सकी और यह विषय प्रारंभ ही नहीं हुए। बड़ी बात यह है कि इसके लिए तात्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहनङ्क्षसह ने बात कही थी।
बीकानेर में स्टोरेज

बजट 2015 में तो एकदम ही ताज्जुब हो गया। बजट भाषण में स्ट्रेटेजिक क्रूड स्टोरेज फेसेलिटी( क्रूड स्टोरेज रिजर्ववायर) बीकानेर में बनाने की घोषणा कर दी। बीकानेर में तेल उत्पादन है न खोज हुई है। बाड़मेर के तेल को बीकानेर ले जाकर रिजर्व में रखने का सरकारी फरमान समझ से परे रहा। देश में अभी दो ही रिजर्ववायर है। एेसे में यह बड़ी उपलब्धि भी बाड़मेर से खिसक गई।
पेट्रो केमिकल यूनिवॢसटी
पेट्रो केमिकल यूनिवर्सिटी को लेकर केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 16 जनवरी के कार्यक्रम में घोषणा तो की लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि यह यूनिवर्सिटी भी जोधपुर में ही रहेगी। पेट्रो केमिकल यूनिवर्सिटी को लेकर लोकसभा चुनावों के प्रचार-प्रसार में आए नरेन्द्र मोदी ने भी सपना दिखाया था कि बाड़मेर के लिए यह विवि बड़ी उपलब्धि होगी। गुजरात से भी युवा यहां आएंगे।
रिफाइनरी का कार्यालय जोधपुर में

रिफाइनरी का पुन: कार्यारंभ होने के साथ ही कार्य को गति देने की बात आई तो अब बाड़मेर के लोगों की उम्मीद जगी लेकिन अचानक जोधपुर में रिफाइनरी के मुख्य कार्यालय के लिए जमीन तलाश ली गई है। लिहाजा अब रिफाइनरी भले ही पचपदरा में बने लेकिन इसका मुख्य कार्यालय जोधपुर में हो जाएगा।
पेट्रो केमिकल हब पर भी संशय
अभी रिफाइनरी के लिए जमीन देखी गई है। यहां पेट्रो केमिकल हब भी स्थापित होना है। इसे लेकर भी अब औद्योगिक जरूरतों का हवाला देते हुए पचपदरा से जोधपुर के बीच की बात की जा रही है और सुविधाआंे के मद्देनजर जोधपुर की ओर संकेत दिए जा रहे हैं।
बातें ही करता रही सरकार और सरकारी तंत्र

– 2005 में रिफाइनरी के सपने और फिर बाड़मेर को दुबई बनाने की बात चली तो यहां सिंगल विंडो बनाकर कार्य करने की जरूरत थी लेकिन तेल कंपनियों को यह सुविधा केन्द्र व राज्य सरकार ने नहीं दी।
– 2009 में तेल उत्पादन के साथ विश्व की सबसे बड़ी हिटिंग पाइप लाइन बिछाई गई और यह दुनिया के लिए अचरज था लेकिन जैसलमेर-बाड़मेर-भाभर रेलवे लाइन का कार्य नहीं किया गया। परिवहन का यह साधन होता तो गुजरात बाड़मेर जुड़ते और दुबई के सपने को आगे बढ़ते।
– 2006 से ही केयर्न के अधिकारी चार्टर विमान से बाड़मेर दिल्ली हर हफ्ते आते हैं लेकिन बाड़मेर से विमान सेवा को लेकर नहीं सोचा गया
– यहां इसी दौरान शुरू हुए राजवेस्ट पावर प्रोजेक्ट के प्लांट के कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए कंपनी ने बाड़मेर शहर में अत्याधुनिक आवासीय कॉलोनी बनाई है जिसमें यह परिवार मेट्रो सिटी का माहौल पा रहा है, केयर्न ने यह सुविधा अब तक नहीं दी है
– कंपनी में फाइव-डे-वीक और 21 दिन काम है। एेसे में यहां कार्य करने वाले अधिकांश लोग जोधपुर, जयपुर और दिल्ली में ही परिवार सहित रह रहे हैं, उनका लगाव बाड़मेर के विकास से नहीं जुड़ा।
एेसे बदले हैं हालात

– 2006 में जब यहां मंगला टर्मिनल का निर्माण और कार्य गति पकड़ रहा था। कंपनी के लोग पहुंचे तो पॉश कॉलोनी में मकान किराया एक लाख रुपए तक पहुंच गया और आज उन्हीं मकानों पर ‘टू लेटÓ की तख्तियां टंगी है।
-कंपनी ने होटलों को तीन साल के लिए बुक कर लिया था और होटल का किराया हजार से दो हजार रुपए प्रतिदिन पहुंच गया था, अब 300 रुपए में एसी रूम मिल जाते हैं।
– कंपनी में 75 से 80 हजार रुपए लग्जरी कारों का किराया था और 2000 से अधिक गाडि़यां बाड़मेर के लोगों ने खरीद ली थी।। अब अधिकांश गाडि़यां बिक गई है या टैक्सी स्टैण्ड पर यात्रियों को तरस रही है।
– जमीनों में बूम और आर्थिक तरक्की ने लखपतियों को करोड़पति बना दिया और बाड़मेर के कई उद्यमी तो करोड़ों के वारे न्यारे करने लगे। अब इन्हीं लोगों से अधिकांश कर्जदार हो गए हैं। संसाधनों को बेचने को भी मजबूर है।
– बाड़मेर के दुबई बनने के सपने में जमीनों में बाहरी लोगों व स्थानीय लोगों ने भी बड़ा निवेश किया था अब जमीनों के भाव ही नहीं है। एेसे में करोड़ों में खरीदी जमीनें उनके लिए गले की हड्डी बनी हुई है।
– बाड़मेर में पचास के करीब बैंकों ने अपनी शाखाएं लगा दी और इनमें रुपया जमा होने लगा। इसके बूते कई शाखाएं तो प्रदेश में नंबर वन तक पहुंच गई लेकिन अब इनके लिए शाखाएं यहां चलाना मुश्किल हो रहा है।
सवाल उन्हीं से जो इस सपने को दिखाते रहे

सरकार ने नहीं दिया ध्यान

यह सच है कि बाड़मेर के दुबई बनने की नींव रखी थी और पेट्रो केमिकल, एजुकेशन, व्यापारिक और स्किल डवलपमेंट हब बाड़मेर बनना था लेकिन सरकार बदलते ही इस पर ब्रेक लग गया। अब दुबई बनने का सपना कहीं नजर नहीं आ रहा है। इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।
– हरीश चौधरी, पूर्व सांसद

धीरे-धीरे बनेगा दुबई

बाड़मेर दुबई बनेेगा, आजकल मेें नहीं लेकिन धीरे-धीरे सुविधाएं आएंगी। पचपदरा की रिफाइनरी क्षेत्र की तकदीर बदलेगी। कार्यालय जोधपुर में खुला है तो कॉर्पोरेट की सुविधा के हिसाब से प्रारंभ किया गया है।
अमराराम चौधरी,राजस्व मंत्री

बाड़मेर के साथ धोखा

रिफाइनरी का कार्यालय, पेट्रो केमिकल हब, यूनिवर्सिटी और सारी सुविधाएं बाड़मेर से दूर चली गई। बाड़मेर के हिस्से तेल रहा है जिसका भी राजस्व बाड़मेर के विकास पर नहीं लग रहा है। बाड़मेर के दुबई बनने के कोई आसार नहीं है।
मेवाराम जैन, विधायक बाड़मेर

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