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अनदेखी का दंश, दुर्दशा पर आंसू बहाता पार्क

locationबाड़मेरPublished: Feb 17, 2020 03:42:47 pm

Submitted by:

Mahendra Trivedi

– आदर्श स्टेडियम का उजड़ता उद्यान
– देखरेख के अभाव में हो रहा जीर्ण-शीर्ण

Due to lack of care, dilapidated park

Due to lack of care, dilapidated park

बाड़मेर. शहर का सबसे बड़ा उद्यान अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। आदर्श स्टेडियम परिसर में बने पार्क की देखरेख नहीं हो रही है। पार्क के कई हिस्सों में बबूल की झाडिय़ां फैल रही हैं तो कहीं पर बैठने की बैंच पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।
शहर के हजारों लोग यहां भ्रमण को आते हैं लेकिन यहां की स्थितियां देखकर दूसरी बार आने पर सोचने को मजबूर हो जाते हैं। जगह-जगह दुर्दशा के निशान नजर आते हैं।

आगे की देखरेख, पीछे उजाड़
पार्क में केवल आगे की तरफ के कुछ हिस्सों की देखरेख हो रही है। इसके अलावा पीछे का काफी बड़ा हिस्सा अनदेखी का शिकार है। यहां ब्लॉक बनाए गए हैं, लेकिन दूध तो नजर आती ही नहीं।
यहां लगी बैंच टूट चुकी है। यहां पर जगह-जगह बबूल की झाडिय़ां पनप चुकी है। जिनको लम्बे समय से नहीं हटाया गया है।

सालों से नहीं दिया पानी

पार्क के पीछे की तरफ का हिस्सा देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेड़-पौधों को सालों से पानी नहीं दिया गया है। इसके कारण पौधे जल चुके हैं। दूब तो देखने पर ही नजर नहीं आती है। यहां के ब्लॉक में अब आक और जंगली झाडिय़ां पनप चुकी हैं।
पानी की कमी से जूझ रहा पार्क

यहां पानी की कमी सबसे बड़ी समस्या है इसके कारण पेड़-पौधे झुलस रहे हैं। पार्क के आगे की तरफ की दूब सूख चुकी है। स्थिति यह है कि यहां बनी प्याऊ तक में पानी नहीं पहुंच रहा है। इसके चलते नगर परिषद की दमकल से प्याऊ में पानी की व्यवस्था की जा रही है।
जिम्मेदार कर रहे अनदेखी

पार्क की देखरेख के जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण यह दुर्दशा का शिकार हो रहा है। गर्मी के दिनों में भ्रमण करने वालों की संख्या बढ़ जाती है। नगर परिषद को इसकी अच्छी तरह से देखरेख करनी चाहिए। जिससे यहां आने वाले लोग सुकून के कुछ पल बीता सकें।
अरविंदसिंह, छात्र

बढऩे की बजाय घटी सुविधाएं

हम यहां काफी समय से घूमने आ रहे हैं लेकिन यहां सुविधाएं बढऩे की बजाय कम होती जा रही है। पार्क का लम्बा- चौड़ा हिस्सा उजाड़ हो चुका है। बैंच टूट चुकी है। गर्मी को देखते हुए यहां लोगों को अच्छी सुविधाएं मिले। इसके लिए विकास की जरूरत है।
अनिरुद्ध, छात्र

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