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शिक्षण संस्थान तो है पर छात्रावास नहीं

locationबाड़मेरPublished: Aug 01, 2018 09:43:15 pm

Submitted by:

Moola Ram

– 21 साल से छात्राएं हो रही परेशान, आवाजाही करने या महंगा किराया देकर रहने को मजबूर
– गांव से दूरी ज्यादा व साधनों के अभाव में बीच में पढ़ाई छोड़ रही बालिकाएं

educational institution is but the hostel is not

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बालोतरा. सरकार ने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के नाम पर 21 साल पहले औद्योगिक नगरी में कन्या कॉलेज तो खोल दिया, लेकिन शहर में रहने के लिए एक अदद छत देना भूल गई। एेसे में बालिका छात्रावास के अभाव में ग्रामीण क्षेत्र की छात्राएं परेशान हो रही है। कई छात्राएं गांव से बालोतरा तक अप-डाउन करती हैं तो कई महंगे किराये पर मकान लेकर रह रही हैं। वहीं अधिकांश ग्रामीण प्रतिभाएं इस परेशानी से बचने के लिए पढ़ाई बीच में छोड़ चूल्हा-चौका संभल रही है।
जिले के दूसरे बड़े औद्योगिक शहर बालोतरा व इससे जुड़े सैकड़ों गांवों के ग्रामीणों की मांग व जरूरत को ध्यान में रखकर तत्कालीन प्रदेश सरकार ने वर्ष1997 में बालोतरा में कन्या महाविद्यालय स्वीकृत किया था। भवन के अभाव में रेलवे स्टेशन के सामने संचालित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में इसे प्रारंभ किया।
कुछ समय बाद सरकार ने जोधपुर रोड पर नया भवन बनाकर विद्यालय को वहां स्थानांतरित किया। इसके बाद पुराने विद्यालय भवन में महाविद्यालय भवन का निर्माण करवाया। तब से आज दिन तक इसी परिसर में कन्या महाविद्यालय संचालित हो रहा है। यह सुविधा मिलने पर जहां शहर की छात्राएं तो खुश हुई, लेकिन गांव की बालिकाएं अभी भी परेशानी झेल रही है। क्योंकि उनको शहर में छात्रावास सुविधा नहीं मिल रही।
गौरतलब है कि सरकार कॉलेज में अध्ययनरत बालिकाओं के लिए कन्या छात्रावास खोलती है, जहां नियमित अध्ययनरत बालिकाएं रहकर शिक्षा अर्जन कर सकती है। बालोतरा में छात्रावास नहीं होने से गांव की छात्राएं शहर में मकान व कमरा किराया लेकर रह रही हैं। वहीं, कई गांव से बालोतरा तक आवाजाही कर रही है।
कॉलेज में 950 छात्राएं अध्यनरत- महाविद्यालय के तीनों संकाय के प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष में 950 से अधिक छात्राएं पढ़ रही है। इनमें से अधिकांश क्षेत्र के गांवों व कस्बों से आकर यहां पढ़ रही है। शहर में सरकारी छात्रावास अभाव में इन्हें ठहरने, खाने-पीने को लेकर अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। अधिकांश छात्राएं गांवों से आना-जाना करती है। इस पर सरकारी छात्रावास की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है।
दूरी ज्यादा व साधनों की कमी-

बालोतरा से सिवाना, समदड़ी, पादरू, पाटोदी 35-35 किलोमीटर, सिवाना- सिणधरी 40-40 किलोमीटर, गुड़ामालानी 100 किलोमीटर दूर है, जहां ये छात्राएं यहां पढऩे आ रही हैं। नगर में सरकारी छात्रावास अभाव व ठहरने, खाने-पीने के महंगे खर्च पर अधिकांश बालिकाएं कस्बों,गांवों से रेलगाडिय़ों, बसों से पूरे वर्ष आवागमन करती है। वहींं, साधनों की कमी के चलते समय पर कॉलेज पहुंचने व यहां से जाने की जल्दी भी रहती है।
सरकार शीघ्र छात्रावास करें स्वीकृत –
नगर में कन्या छात्रावास के अभाव में ठहरने, खाने-पीने के महंगे खर्च पर आर्थिकदृष्टि से कमजोर परिवार बेटियों को यहां रख नहीं पाते हंै। घर से महाविद्यालय आने-जाने में अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। असुरक्षा का डर भी सताता है। सरकार शीघ्र छात्रावास स्वीकृत करें।
– हीरालाल कांकरिया

पढ़ाई छोडऩे को मजबूर प्रतिभाएं-

बालोतरा में 21 वर्ष से महाविद्यालय संचालित होने के बावजूद बालिका सरकारी छात्रावास स्वीकृत नहीं होना दुर्भाग्य है। छात्रावास के अभाव व घर से अधिक दूरी पर बहुत से अभिभावक बेटियों को बीच में पढ़ाई छुड़वाते हंै। सरकार तत्काल छात्रावास प्रारंभ करें।
– गुंजन सिंहल
छात्रावास की जरूरत, जमीन का अभाव-

कन्या महाविद्यालय में छात्रावास की जरूरत है। इससे बालिकाओं को अच्छी सुविधा मिलेगी। जमीन का अभाव है। इस पर प्रस्ताव नहीं भिजवाया।

– डॉ. अर्जुनराम पूनिया, प्राचार्य डीआरजे कन्या महाविद्यालय
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