चिकित्सक की ओर से प्राथमिक रूप से टीटी का इंजेक्शन लगाया जाता है। ऐसे में इमरजेंसी कक्ष में इंजेक्शन नहीं होने के कारण मरीज के लिए परेशानी खड़ी हो जाती है। मरीज खुद को या फिर परिजन को इंजेक्शन बाहर के मेडिकल स्टोर से खरीदकर लाना पड़ता है। हालांकि राजकीय चिकित्सालय के इंजेक्शन कक्ष में तो टीटी उपलब्ध है। लेकिन जहां इसकी अधिक आवश्यकता है वहां इमरजेंसी में यह नहीं मिलता है।
इंजेक्शन को रखने की सुविधा टीटी के इंजेक्शन को सुरक्षित रखने के लिए एक निश्चित तापमान बहुत जरूरी है। इमरजेंसी में फ्रीज की सुविधा नहीं होने से इंजेक्शन नहीं रखा जाता है। जब चिकित्सक टीटी इंजेक्शन लिखते हैं तो मरीज के परिजनों को बाहर से इंजेक्शन खरीदना पड़ रहा है।
इसलिए है टीटी जरूरी मरीज के टिटनेस रोग मांसपेशियों में दर्दभरी ऐंठन पैदा करता है। यह रोग जानलेवा भी हो सकता है। मिट्टी और पशुओं की खाद में मिलने वाले जीवाणु की वजह से यह रोग होता है। यह शरीर में चोट या घाव के जरिये प्रवेश करता है। वहीं किसी पशु के काटने से भी हो सकता है। ऐसे में रोग से बचाने के लिए टीटी इंजेक्शन लगाते हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक गर्भवती महिला व गर्भ में पल रहे शिशु को इन्फेक्शन से बचाने के लिए गर्भावस्था के दौरान टीटी लगाया जाता है। टीटी का इंजेक्शन लगाने से शरीर रोग प्रतिकारक एंटीबॉडीज बनाता है जो कि टिटनस बैक्टीरिया से लड़ती हैं। गर्भावस्था में इंजेक्शन लगाने से मां व बच्चा दोनों सुरक्षित रहते हंै।
पता करवाता हूं अस्पताल की इमरजेंसी में टीटी इंजेक्शन नहीं है तो पता करवाता हूं। जो भी समस्या आ रही है उसका समाधान किया जाएगा। डॉ. संजीव मित्तल, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, राजकीय जिला चिकित्सालय, बाड़मेर