यों समझें इमरजेंसी वार्ड की समस्या 1. बढ़ा दी दूरी और समय गंभीर मरीज के लिए एक-एक पल कीमती रहता है, पहले जहां अस्पताल गेट में घुसते ही वार्ड था अब इसको पचास मीटर ज्यादा पीछे कर दिया है, जाहिर है वाहन को मोडऩे और ले जाने में समय और दूरी बढ़ी है।
2. सड़क की हालत खराब अब पीछे जाने को पहले सड़क पर मोड़ है, फिर हल्की ऊंचाई और फिर दूसरा मोड़। इस पर सड़क भी खस्ताहाल। बालमंदिर स्कूल की आेर से एक क्रॉस और सामने से भी एक सड़क। यानि चार बाधाएं सड़क पर हैं।
3. आगे ट्रेफिक की समस्या ट्रोमा सेंटर व नए भवन के आगे दुपहिया वाहन खड़े रहते हंै, लिहाजा यहां पर भी इमरजेंसी में आने वाली एम्बुलेंस को परेशानी उठानी पड़ती है। सबसे बड़ी परेशानी: आपात वार्ड खुद बीमार
इमरजेंसी वार्ड के भीतर प्रवेश करते ही मरीज और परिजन के चेहरे पहले से ही उतर जाते हैं। एक हॉल में कोलाहल, अशांति, अव्यवस्था सभी एक साथ यहां नजर आती है। डॉक्टर कहां बैठे हैं, नर्सिंग कर्मचारी कौन है, कौन ईसीजी करेगा, कौन मरीज है और कौन कर्मचारी कुछ पता नहीं लगता।
एेसे लगता है कि किसी हॉल में आकर खड़े हो गए हैं जहां जवाबदेह कौन यह पता लगाना भी मुश्किल। पूर्व में एक अलग से कमरा था जहां नर्सिंग स्टाफ अपनी ड्रेस में 24 घंटे नजर आता था और सामने ही ड्यूटी डॉक्टर का कक्ष।
सिटी स्कैन भी दूर इमरजेंसी वार्ड के हिसाब से ही सिटी स्कैन ठीक सामने लगा था, अब सिटी स्कैन भी दूर हो गया है। घायल अवस्था में आने वाले मरीजों को सिटी स्कैन के लिए परेशान होना पड़ रहा है। एक्सरे,लैब व अन्य सुविधाएं भी इतनी ही दूरी पर हैं।
परिजन बोले – गंभीर परेशानी है अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड मुख्य गेट पर होना चाहिए। वर्तमान में इमरजेंसी वार्ड गलत जगह बना दिया है। यह मरीजों के लिए आफत बना हुआ है।
– मनीष सोनी, स्थानीय निवासी – पता नहीं चल रहा जिला अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड का किसी को पता भी नहीं चल रहा है। ट्रोमा सेंटर के हॉल में संचालित किया जा रहा है। यहां कोई सुविधा नहीं है।
– कैलाश बेनीवाल कोई परेशानी नहीं है
कोई परेशानी नहीं है। नए अस्पताल के गेट के सामने होने से एेसा किया गया है। पुराने वाला छोटा पड़ रहा था।
– डा. बी एल मंसूरिया, पीएमओ बाड़मेर अस्पताल