अमोनिया नाइटे्रट से विस्फोट- पहाडि़यों पर ब्लास्ट अमोनिया नाइट्रेट से किया जाता है। दिन में दो बार Bomb blast ब्लास्ट कर पत्थर तोडऩे का कार्य किया जाता है। ब्लास्ट से इतना तेज धमाका होता है कि इसकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई देती है। विस्फोट के चलते आसपास के घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी है
टांकों में दरारंे आने से पानी का ठहराव नहीं होता। विस्फोट से कई बार पत्थर उछलकर घरों तक पहुंच जाते है। कई बार ललेची माता मन्दिर तक भी पहुंच चुके है। पिछली साल विस्फोट से एक बड़ा पत्थर उछलकर ललेची माता मन्दिर पर गिरा जिससे मन्दिर का एक कोना टूट गया था। मन्दिर में हरपल श्रद्वालुओं का आवागमन बना रहता है। ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
पानी की टंकी को खतरा- जिस पहाडिय़ों पर विस्फ ोट के जरिए पत्थर तोडऩे का कार्य किया जाता है, उसी पहाड़ी पर एक पानी का बड़ा ओवरहैड टैंक बना हुआ है। इस बड़े जीएलआर में उम्मेदसागर से आने वाली नहरी मीठे पानी का स्टॉक किया जाता है। इसी पानी से आसपास के 56 गांवों में जलापूर्ति की जाती है। ऐसे में इस जीएलआर के पास हो रहे तेज ब्लास्ट से खतरा पैदा हो गया है। इसी पहाड़ी के पास इस नहरी पानी परियोजना का कार्यालय बना हुआ है।
अडियारी भाखरी पर भी खनन- बालोतरा सड़क के पास अडियारी भाखरी पर भी इसी प्रकार से पत्थर तोडऩे का कार्य किया जा रहा है। यहां पर तो अत्याधुनिक मशीनों से कुछ पहाडिय़ों पूरी तरह से नष्ट को चुकी है। प्रकृति के साथ खुल्ले आम हो रहे इस खिलवाड़ को लेकर Illegal mining खनन विभाग व स्थानीय प्रशासन District administration ने मौन साध रखा है। इस पहाड़ों के पास एक तरफ बालोतरा जाने वाला स्टेट हाइवे और दूसरी तरफ समदड़ी भीलड़ी रेल लाइन है।