पिता थे चतुर्थश्रेणी कर्मचारी, पांच बेटे बन गए शिक्षक
- तीन का एक साथ वरिष्ठ अध्यापक पद पर हाल ही में चयन

रामसर. हौसले बुलंद हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती, यह साबित कर दिया कंटालिया के एक परिवार ने। पिता सहायक कर्मचारी थे, उनका सपना था कि बेटे कुछ लायक बन जाए। बेटों ने भी पिता का निराश नहीं किया,
चिमनी की रोशनी में अध्ययन, पैदल स्कूल जाने व कई कठिनाइयां सहने के बाद भी पढ़ाई के ध्येय बना आगे बढ़े और
एक-एक पांचों ही शिक्षक बन गए। पिता का सपना पूरा हो गया तो बेटों को भी खुशी है कि वे कुछ लायक बन पाए।
कंटालिया निवासी राजूराम ने सरकारी विद्यालय गागरिया में सहायक कर्मचारी पद पर 39 साल तक सेवाएं दी। उन्होंने ने डेढ़ सौ रुपए प्रति माह से नौकरी की शुरुआत की थी। सीमांत क्षेत्र में शिक्षकों की कमी देखकर अपने पुत्रों को शिक्षक बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अभावों की जिदंगी जी, लेकिन अपने पुत्रों को अपने पैरो पर खड़ा किया। पिता राजूराम और माता मोरियत ने उनकी शिक्षा के लिए रुपए की कमी और अभाव महसूस होने नहीं दिया। वर्तमान में उनके पांचों बेटे शिक्षक हैं। एेसे में पांचों ही बेटे आगे बढ़े और बीएड कर शिक्षक बन गए। सभी बेटे एमए बीएड हैं।
तीन का एक साथ चयन- राजूराम के पुत्र अर्जुनराम, बालाराम का 2007 में वरिष्ठ अध्यापक पद पर चयन हुआ था। वहीं 2018 की शिक्षक भर्ती में खेताराम, पदमाराम व पीताम्बरदास का चयन हुआ है।
खुशी की बात- मैंने सपना देखा था कि मेरे बेटे शिक्षक बने। उन्होंने मेरे सपने को पूरा किया और अभी पांचों ही शिक्षक हैं। यह मेरे लिए खुशी की बात है।- राजूराम, पिता
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