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साधु तो चलते-फिरते तीर्थ होते हैं, उनके दर्शन में आनंद की अनुभूति, पढ़िए पूरी खबर

locationबाड़मेरPublished: Oct 21, 2018 08:37:21 am

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barmer news

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बाड़मेर. शहर के जैन न्याति नोहरा में चल रहे चातुर्मास कार्यक्रम में शनिवार को नवपद ओली के पांचवे दिन साधु पद की महिमा के बारे में बताया। साधु- भगवंतों के दर्शन में आनंद है। साध्वी सुरंजना ने कहा कि नवपद के मध्य में साधुपद है जो हमें देव और धर्म दोनों की पहचान कराते हैं। सदनिमित्त का आहार, कुसंस्कारों का निहार और शुभ अध्यवसाय का विहार करे वो साधु। उन्होंने कहा कि साधु तो चलते-फि रते तीर्थ हैं तो उनके दर्शन से ही पुण्य की प्राप्ति होती है।
विविध अनुष्ठानों का हुआ आयोजन-
चन्दनमल सेठिया ने बताया कि नवपद आराधना के तहत कुंभ स्थापना, दीपक स्थापना, ज्वारारोपण तथा दोपहर में अठारह अभिषेक के अनुष्ठान का आयोजन हुआ।

पांच महाव्रतों का पालन करे वह साधु
शहर के नाहटा ग्राउण्ड में मुनि मनितप्रभसागर ने कहा कि पांच महाव्रतों का पालन करे वह साधु है। नवपद की आराधना मोक्ष का मूल मार्ग है। जिन्हें संसार से पार उतरना है, भव रोग से मुक्त होना है तथा परमात्मा के साथ हदय के तार जोडऩा है उनके लिए नवपद की आराधना बताई गई है। उन्होने कहा कि साधु वह है जो सज्जन हो, पवित्र हो, गुणों से युक्त हो, आत्मा में रमण करे, कषायों से मुक्त हो। इस मौके पर सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।
सम्यक दर्शन के बिना मुक्ति नहीं

साधना भवन में कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आचार्य कविन्द्र सागर ने कहा कि धर्म का प्रारंभ सम्यक दर्शन से होता है। जब तक जीवन में सम्यक दर्शन नहीं आता तब तक तात्विक रूप से धर्म का प्रारंभ ही नहीं होता है । सम्यक दर्शन के बिना आत्मा अरिहंत नहीं बन सकता है। अरिहंत के बिना आत्मा सिद्धत्व को प्राप्त नहीं कर सकता है। इस मौके पर मुनिराज कल्पतरूसागर ने कहा कि आचार्य, उपाध्याय, साधु को आचार्य, उपाध्याय, साधु मान्यता देने वाला सम्यक दर्शन है। दर्शन के बिना ज्ञान अज्ञान है।
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