जिला मुख्यालय पर यातायात पुलिस थाने में 39 लाख के गबन के मामले में तीन साल के दौरान कार्यरत रहे थानेदारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। नोटिस का क्या जबाव मिला, इसका कोई खुलासा नहीं हो पाया है। वहीं गबन का मामला सामने आने के बाद पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच बाड़मेर डिप्टी मानाराम गर्ग को सौंपी थी। सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट में यातायात चौकी में कार्यरत रहे अधिकारियों व कर्मचारियों की लिप्तता सामने आई है।
यों खुली थी पोल
लाखों रुपए के गबन की जानकारी मिलने पर मुख्यालय ने अंकेक्षण विभाग से मामले की जांच करवाई। जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि करीब 39 लाख रुपए का गबन हुआ है। उसके बाद अंकेक्षण विभाग की तथ्यात्मक रिपोर्ट मिलने पर विभागीय कार्रवाई होनी थी। पुलिस विभाग की ओर से करवाई गई जांच में कार्मिकों की भूमिका सामने आने पर थाने में मामला दर्ज करवाने की तैयारी कर ली गई है।
लाखों रुपए के गबन की जानकारी मिलने पर मुख्यालय ने अंकेक्षण विभाग से मामले की जांच करवाई। जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि करीब 39 लाख रुपए का गबन हुआ है। उसके बाद अंकेक्षण विभाग की तथ्यात्मक रिपोर्ट मिलने पर विभागीय कार्रवाई होनी थी। पुलिस विभाग की ओर से करवाई गई जांच में कार्मिकों की भूमिका सामने आने पर थाने में मामला दर्ज करवाने की तैयारी कर ली गई है।
पत्रिका ने यों उठाया था मामला
राजस्थान पत्रिका के 6 अप्रेल के अंक में ‘3 साल में 35 लाख की चालान राशि डकार गई यातायात पुलिसÓ समाचार का प्रकाशन कर मामला उजागार किया गया था। उसके बाद लगातार सिलेसिलेवार मामले की परतें उजागर करते हुए समाचार प्रकाशित कर सवाल खड़े किए।
राजस्थान पत्रिका के 6 अप्रेल के अंक में ‘3 साल में 35 लाख की चालान राशि डकार गई यातायात पुलिसÓ समाचार का प्रकाशन कर मामला उजागार किया गया था। उसके बाद लगातार सिलेसिलेवार मामले की परतें उजागर करते हुए समाचार प्रकाशित कर सवाल खड़े किए।