सरकार बदली और अब पांच साल भी पूरे होने वाले हैं, लेकिन यह घोषणा अमली जामा नहीं पहन सकी है और आज भी अजा, अजजा वर्ग के गरीब तबके के छात्र मंहगे किराए पर कमरा लेकर कस्बे में पढऩे को मजबूर है।
सरकार उच्च माध्यमिक तक अध्ययनरत अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों के लिए समाज कल्याण छात्रावास की सुविधा देती है। यह सुविधा उपखण्ड मुख्यालय पर नहीं है, जिसकी घोषणा करीब छह साल पहले हो चुकी है। मई 2013 में मुख्यमंत्री की बजट की घोषणा के तहत उपखंड मुख्यालय पर अजा, जजा के 50 छात्रों की क्षमता वाले छात्रावास की स्वीकृति भी हुई थी। यह स्वीकृति अब तक अमलीजामा नहीं पहन सकी है। उच्च माध्यमिक व माध्यमिक कक्षा में अध्ययनरत इस वर्ग के छात्र छात्रावास के अभाव में कस्बे में किराए के कमरे लेकर पढ़ रहे हैं। कस्बे में कमरे का किराया दो हजार से तीन हजार तक है, इसके अलावा बिजली, पानी व भोजन सहित अन्य खर्च कम से कम चार हजार तक हो जाता है। ऐसे में गरीब तबके के इन विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा सपना बनती जा रही है। कई जने तो मजबूर पढ़ाई बीच में ही छोड़ रहे हैं या फिर स्वयंपाठी के रूप में परीक्षा दे रहे हैं।
इनका कहना है- अजा, अजजा वर्ग के अधिकांश परिवार अभी भी आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न नहीं है। एेसे में कमरे किराया पर लेकर पढऩा उनके लिए मुश्किल हो रहा है। यहां छात्रावास सुविधा मिले तो काफी जनों को फायदा होगा।- महेन्द्र कुमार बालवा, छात्र
सरकार उपखंड मुख्यालय पर स्वीकृत छात्रावास जल्द ही प्रारंभ कर विद्यार्थियों को महंगाई के दौर में राहत प्रदान करे। महंगे किराए के चलते कई विद्यार्थी पढ़ाई छोडऩे को मजबूर हो रहे हैं।- सोनाराम भील, महासचिव भील समाज इकाई शिव
शैक्षणिक सुधार के लिए अजा.अजजा बाहुल्य क्षेत्रों में जहां भी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं, वहां सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को छात्रावास की सुविधा प्रारंभ कर छात्रों को राहत देनी चाहिए।- निंबाराम बारूपाल, प्रतिनिधि मेघवाल समाज शिव