अंगूठे के निशान मिटने या अन्य कारण से पात्र होते हुए भी खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से वितरण की जाने वाली राशन सामग्री से वंचित बुजुर्ग, एकल व निशक्तजनों के लिए सरकार ने एक साल पहले फूड कूपन देने की योजना लागू की थी। योजना के तहत सरकार ने पहले सर्वे करवाया। फिर योजना को ही फाइलों में दफन कर दिया।
सरकार को भेजी थी रिपोर्ट
विभाग ने बुजुर्ग, एकल व निशक्तजनों की श्रेणी में आने वाले पात्र उपभोक्ताओंं का सर्वे करवाया था। जिसमें बाड़मेर जिले से ग्यारह सौ नाम की सूची बनी। विभाग ने सर्वे सूची तैयार कर सरकार को भेज दी। लेकिन उसके बाद योजना आगे नहीं बढ़ पाई। ऐसे में बुजुर्गों, एकल व विकलांगों को आज भी राशन की दुकान पर जाकर ही सामग्री लानी पड़ रही है।
विभाग ने बुजुर्ग, एकल व निशक्तजनों की श्रेणी में आने वाले पात्र उपभोक्ताओंं का सर्वे करवाया था। जिसमें बाड़मेर जिले से ग्यारह सौ नाम की सूची बनी। विभाग ने सर्वे सूची तैयार कर सरकार को भेज दी। लेकिन उसके बाद योजना आगे नहीं बढ़ पाई। ऐसे में बुजुर्गों, एकल व विकलांगों को आज भी राशन की दुकान पर जाकर ही सामग्री लानी पड़ रही है।
यह थी फूड कूपन योजना
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत राशन की दुकानों तक नहीं पहुंच पाने वाले बुुजुर्गों, विकलांगों व एकल उपभोक्ताओं के लिए फूड कूपन देने की योजना बनी थी। इसमें एक साल में 12 कूपन मिलने थे। जिससे उपभोक्ता किसी परिचित या परिजन को देकर राशन सामग्री घर बैठे मंगवा सकता था। साथ ही कूपन से उसे तीन माह की सामग्री एक साथ मिलने की व्यवस्था थी। लेकिन योजना की प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं होने से कागजों से बाहर नहीं आ सकी।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत राशन की दुकानों तक नहीं पहुंच पाने वाले बुुजुर्गों, विकलांगों व एकल उपभोक्ताओं के लिए फूड कूपन देने की योजना बनी थी। इसमें एक साल में 12 कूपन मिलने थे। जिससे उपभोक्ता किसी परिचित या परिजन को देकर राशन सामग्री घर बैठे मंगवा सकता था। साथ ही कूपन से उसे तीन माह की सामग्री एक साथ मिलने की व्यवस्था थी। लेकिन योजना की प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं होने से कागजों से बाहर नहीं आ सकी।
– रसद अधिकारी बोले- मेरे ध्यान में नहीं
फूड कूपन के बारे में जब रसद अधिकारी जितेन्द्रसिंह नरूका से जानकारी चाही तो वे अनभिज्ञ नजर आए। उन्होंने बताया कि इस बारे में मेरे पास कोई जानकारी नहीं है। फिर उन्होंने अपने अधीनस्थ से बात करवाई। अधीनस्थ अधिकारी ने कहा कि यह योजना थी। हमने सर्वे करवाया था। लेकिन उसके बाद सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं मिले।
फूड कूपन के बारे में जब रसद अधिकारी जितेन्द्रसिंह नरूका से जानकारी चाही तो वे अनभिज्ञ नजर आए। उन्होंने बताया कि इस बारे में मेरे पास कोई जानकारी नहीं है। फिर उन्होंने अपने अधीनस्थ से बात करवाई। अधीनस्थ अधिकारी ने कहा कि यह योजना थी। हमने सर्वे करवाया था। लेकिन उसके बाद सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं मिले।