पिछले वर्ष कृषि उपज मण्डियों की चुनावों के लिए कृषि विपणन बोर्ड ने वार्डों का गठन कर लिया था। सदस्य एवं चेयरमैन पदों पर चुनाव लडऩे वालों ने तैयारी भी शुरू कर दी थी, लेकिन बाद में सरकार ने चुनाव नहीं करवाए।
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राजनीतिक समीकरण बदलते हैं मण्डी चुनाव कृषि उपज मण्डियों में गठित बोर्ड में अधिकांश जनप्रतिनिधि ग्रामीण इलाकों से जुड़े रहते हैं। मण्डी का करोड़ों रुपए का सालाना बजट होने के कारण इस पद को विकास की दृष्टि से राजनीति में महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी वजह से राजनीतिक पार्टियां अपने ही समर्थक का बोर्ड बनवाना चाहती हैं।
— पंच-सरपंच व सदस्य चुनते हैं मण्डी सदस्य कृषि उपज मण्डियों में चेयरमैन चुनाव से पहले मण्डी सदस्यों का चुनाव होता है। कृषि विपणन बोर्ड चुनाव से पहले वार्ड निर्धारित करते हैं। सामान्यत: सात-आठ ग्राम पंचायतों का एक वार्ड गठित किया जाता है। बालोतरा मंडी में 11 सदस्य हैं। इनमें से 6 वार्डों से निर्वाचन होते हैं, वहीं सरकार 2 सदस्य मनोनीत करती है। एक व्यापारी प्रतिनिधि व संबंधित विधायक भी सदस्य होता है। दो सदस्य नगर परिषद से निर्वाचित होकर आते हैं। सदस्यों के लिए होने वाले मतदान में ग्राम पंचायत के वार्ड पंच, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य हिस्सा लेते हैं।
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सड़कें बन रही है ना हो रही है दुकानें आवंटित कृषि उपज मण्डियों में पिछले दो वर्ष से किसान हर काम के लिए भटक रहा है। चाहे दुर्घटना होने पर राजीव गांधी कृषि साथी योजना हो या फिर उनके इलाके में सड़कों का विकास। मण्डियों के यार्ड में दुकानों का आवंटन, पानी, बिजली एवं सड़क समेत कई सुविधाओं की पूर्ति कराना मण्डी प्रशासन का काम है।
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नहीं मिले निर्देश कृषि मंडी के बोर्ड का कार्यकाल सितम्बर 2016 में समाप्त हो गया था। इसके बाद सरकार के निर्देश पर वार्डो का गठन भी किया गया। चुनाव करवाने को लेकर अभी तक कोई दिशा निर्देश नहीं आए हैं। – अशोक शर्मा, सचिव वीर दुर्गादास राठौड़ कृषि उपज मंडी बालोतरा