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भाई के लिए मदद मांगने को मजबूर, जिम्मेदार बेपरवाह, कैसे होगा इलाज

locationबाड़मेरPublished: Apr 25, 2018 06:24:57 pm

Submitted by:

Dilip dave

करीब दो साल पहले दुर्घटना में रीढ़पर लगी चोट
– मुख्यमंत्री के निर्देश पर भी प्रशासन ने नहीं ली सुध

बाड़मेर के राजकीय चिकित्सालय में भर्ती साहेब की सेवा करते परिजन।

बाड़मेर के राजकीय चिकित्सालय में भर्ती साहेब की सेवा करते परिजन।

बाड़मेर. दो साल पहले बिस्तर पकड़ चुके जवान भाई की जिंदगी बचाने के लिए गांव भलीसर निवासी मुहिब अब हाथ फैलाने को मजबूर है। बीमार भाई को साथ लेकर कलक्ट्रेट पहुंचा तो अधिकारियों ने मदद का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाई तो वहां से भी प्रशासन को कार्रवाई का पत्र भेजा गया, लेकिन मदद करना तो दूर अब तक किसी ने दो मीठे बोल तक नहीं बोले हैं। एेसे में जमीन-जायदाद बेच चुका मुहिब अब हाथ फैला कर इलाज की गुजारिश कर रहा है।
भलीसर निवासी साहेब ट्रक चलाता था। दो साल पहले 16 अक्टूबर 2016 को अहमदाबाद- बड़ोदरा हाइवे पर सड़क दुर्घटना में गंभीर घायल हो गया। उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। भाई मुहिब ने अहमदाबाद में इलाज करवाया, लेकिन आर्थिक तंगी आड़े आ गई। उसने अपना पुश्तैनी खेत बेच दिया पर साहेब की हालत नहीं सुधरी। अहमदाबाद में रुपए की कमी के चलते मुहिब भाई को बाड़मेर लेकर आ गया। यहां अस्पताल में वह तीन महीने से भर्ती है। चिकित्सक बाहर ले जाकर ऑपरेशन करवाने की बात कहते हैं, लेकिन परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने से इलाज बूते के बाहर है। मुहिब भी पिछले दो साल से काम धंधा छोड़ उसके साथ रहता है। अब इलाज व खाने-पीने के रुपए भी नहीं है।

प्रशासन से नहीं मिली मदद

कुछ माह पहले मुहिब अपने बीमार भाई को लेकर अस्पताल से कलक्टे्रट पहुंचा। वहां से वापस अस्ताल में भर्ती करवा इलाज में सहयोग का आश्वासन मिला। लेकिन अभी तक इलाज का इंतजार ही है।
मुख्यमंत्री ने भी भेजा पत्र

मदद को लेकर मुहिब ने मुख्यमंत्री से सम्पर्क पोर्टल के जरिए फरियाद की। इस पर सीएमओ से प्रशासन के नाम 21 फरवरी 18 को पत्र आया, जिसमें उचित मदद के निर्देश दिए। लेकिन अभी तक प्रशासन ने सुध तक नहीं ली है।
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काम-धंधा छूटा, मदद मिले तो हो इलाज

भाई के इलाज को लेकर अपनी जमीन तक बेच चुका है। मैं खुद चालक हूं, लेकिन अब काम-धंधा भी छूट गया है। मदद को भटक रहा हूं। प्रशासन, सरकार या कोई मददगार आए तो शायद इलाज हो जाए।
– मुहिब, साहेब का भाई
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