सरकारी विद्यालयों में पढऩे वाली बालिकाएं जो कक्षा नवमीं में अध्ययनरत है, उनको प्रदेश सरकार की ओर से नि:शुल्क साइकिलें दी जाती है। इसके पीछे मंशा बालिकाओं को घर से स्कूल तक आने-जाने की सुविधा देना है। हर साल नवमीं की सैकड़ों बालिकाएं इस योजना से लाभान्वित होती है। सरकार जिला मुख्यालय पर साइकिलें भेजती है, जहां ब्लॉक स्तर के विद्यालय में इनका वितरण होता है। ब्लॉक से संबंधित स्कूल को साइकिलें भेजी जाती है। इस परिवहन प्रक्रिया में साइकिलों की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा जाता। इस पर बालिकाओं के हाथों में पहुंचने से पहले साइकिलों में कुछ न कुछ खराबी आ जाती है। अधिकांश साइकिलों पर स्कैच पड़ जाता है तो टोकरी टूटी होती है। वहीं हैंडल खराब, पेंडल टूटा भी कई बार मिलता है। जरूरत है तो बस इतनी की साइकिलों को वाहनों में ठूंस कर न भरें, लेकिन एेसा नहीं हो रहा।
स्थानीय राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों में साइकिलें पहुंचाई जा रही है। एक टोले में 40 से 50 साइकिलें भरकर ले जाने पर इनके टूट-फूट होने की संभावना अधिक रहती है। बावजूद परिवहन के दौरान ध्यान नहीं रखा जाता है।
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ग्राम पंचायत नेतराड़ के राउप्रावि सेवरों का तला में रविवार को दानदाताओं ने विद्यार्थियों को टाई-बेल्ट व आईडी कार्ड उपलब्ध करवाए। संस्था प्रधान पुरुषोत्तमलाल ने बताया कि विद्यालय में पहले से खिलौना बैंक भी स्थापित की गई हैं। शिक्षक चेलाराम गुगलिया ने इसके लिए प्रयास किए।
ग्राम पंचायत नेतराड़ के राउप्रावि सेवरों का तला में रविवार को दानदाताओं ने विद्यार्थियों को टाई-बेल्ट व आईडी कार्ड उपलब्ध करवाए। संस्था प्रधान पुरुषोत्तमलाल ने बताया कि विद्यालय में पहले से खिलौना बैंक भी स्थापित की गई हैं। शिक्षक चेलाराम गुगलिया ने इसके लिए प्रयास किए।