स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश का यह सरहदी इलाका अत्यधिक पिछड़ा व बड़े रेगिस्तान के बीच पसरा उजड़ा और वीरान क्षेत्र था। लगातार अकाल की विभीषिका के कारण लोगों का निरंतर पलायन जारी था। 1965 और 1971 के युद्ध में हौंसले के साथ सेना के कंधे से कंधा मिलाकर लडऩे वालों यहां के जीवट लोगों ने विरीत परिस्थितयों में जीना सीखा। विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के बीच भी यहां के बाशिंदों ने हिम्मत नहीं हारी और अपने संघर्षों और मेहनत के बल पर क्षेत्र की नई इबारत लिखी।
यह कार्य हुए है विकास की कड़ी – सभी 28 ग्राम पंचायत केंद्रों पर उच्च माध्यमिक विद्यालय की क्रमोन्नती।
– सरहदी बड़े कस्बे गडरारोड में तहसील मुख्यालय, पंचायत समिति मुख्यालय बनाना। – आवासीय केंद्रीय विद्यालय जैसिन्धर स्टेशन।
– कन्या छात्रावास जैसिन्धर स्टेशन।
– आईटीआई कॉलेज जैसिन्धर स्टेशन।
– पॉलिटेक्निक कॉलेज जैसिन्धर स्टेशन। – स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल देतानी।
– कस्तूरबा आवासीय बालिका उमावि हरसाणी – आईटीआई कॉलेज गडरारोड
– सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गडरारोड, देताणी – सीमावर्ती क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना में हजारों घर भी बनाए गए।
पंचायत समिति बनने के बाद पकड़ी गति
वर्ष 2014-15 में गडरारोड को पंचायत समिति बनाया गया। इसमें कुल 17 पंचायत समिति सदस्यों सहित 28 सरपंच चुने गए। पंचायत समिति बनने और ग्राम पंचायतों में विकास को बजट मिलने से अब गांवों में कई मूलभूत सुविधाएं नसीब हो रही है।
डीएनपी की समस्या देश की सरहद पर आजादी के बाद से विकास के लिए निरंतर जूंझना पड़ा है। निरंतर प्रयास और संघर्षं की बदौलत पूरा क्षेत्र लड़ रहा है। विकास कार्यों के बीच बहुत बड़ा भू-भाग डेजर्ट नेशनल पार्क के क्षेत्र में आ गया है। इससे कई बार समस्याएं आङ़े आ जाती है। विकास में यह प्रमुख अवरोध है। इसी के कारण बिजली, पानी और सड़क के लिए भी अनुमति एनओसी के लिए निर्भर रहना पड़ता है। इससे कई समस्याएं खड़ी हो जाती है।
गडरारोड़ की विशेषताएं
– भारत पाकिस्तान बॉर्डर का इलाका
– मुनाबाव अंतर्राष्ट्रीय रेलवे स्टेशन इसी क्षेत्र में – गडरारोड़ के प्रसिद्ध रहे है लड्डू
– गडरारोड़ क्षेत्र की कशीदाकारी पहुंच रही है विदेशों तक – हैण्डीक्राफ्ट उद्योग को यहां मिल रही है नई पीढ़ी
– ढाट राधाकृष्ण मंदिर में है पाकिस्तान से लाए हुए ठाकुरजी
-भीखभारती गोस्वामी, संवाददाता गडरारोड