बाड़मेर. प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी के दौरे से सरपंचों की महीनों पुरानी मांगों को लेकर प्रशासन को झुकना पड़ा। जैसे ही सरपंचों ने धरना आरम्भ किया। सरकार ने आनन-फानन में पंचायतरीराज विभाग के सचिव के साथ तकनीकी टीम को
जयपुर से बाड़मेर भेजा। टीम ने यहां पहले कलक्टर शिवप्रसाद नकाते और सीईईओ एम एल नेहरा से वार्ता कर सरपंचों की मांगों की जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने सरपंच संघ के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया। मंगलवार देर शाम वार्ता का दौर आरमभ हुआ। यह दौर लम्बे समय तक चला, जिसमें सरपंचों ने बीएसआर दर को संशोधित करने की बात कही। साथ ही सामग्री मद का बकाया बजट आवंटित करने को कहा। वार्ता सफल रही और धरना उठा गया।
सरपंच संघ के आह्वान पर विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन व बहिष्कार की चेतावनी के बाद हरकत में आए प्रशासन ने उनसे वार्ता की। इसके बाद विभिन्न मांगों को लेकर समझौता होने पर मंगलवार देर शाम संघ ने आंदोलन स्थगित कर दिया। संघ प्रदेश प्रवक्ता हिन्दूङ्क्षसह तामलोर ने बताया कि मंगलवार को कलक्टर सभागार में जिला कलक्टर शिवप्रसाद नकाते, सचिव मनरेगा एवं पंचायतीराज रोहितकुमार, विधायक कैलाश चौधरी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद एम एल नेहरा, एडीपीासी मनरेगा सुरेश दाधीच ने सरपंच संघ जिलाध्यक्ष उगमसिंह राणीगांव, उपाध्यक्ष नाथूराम जांगिड़, ग्राम सेवक संघ अध्यक्ष मूलाराम पूनिया, जगदीश ढाका, श्यामङ्क्षसह बंधड़ा, अनवरसिंह द्रामा,
हनुमान बेनीवाल सहित प्रतिनिधि मंडल से वार्ता की। इस दौरान सरपंचों ने बताया कि करीब आठ माह से सामग्री मद की राशि नहीं मिलने से गांवों में विकास कार्य बंद है। उन्होंने बीएसआर दर संशोधन सहित अन्य मांगों को प्रशासनिक प्रतिनिधि मण्डल के समक्ष रखा। इसके बाद सहमति बनने पर प्रस्तावित आंदोलन को स्थगित किया। प्रतिनिधि मंडल में मनोहरसिंह राजबेरा, आसूराम बैरड़, नवाबखां गागरिया, भंवरलाल भाम्भू, पृथ्वीसिंह धारवी, पदमाराम ईसरोल, शंकराराम आदि शामिल थे। तामलोर ने बताया कि संघ ने बुधवार को ग्राम पंचायत पर ताला लगाने व गुरुवार से जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी दे रखी थी, जिसे अब वार्ता के बाद स्थगित किया गया है।