शिवरात्रि पर जगमगाएगा बाड़मेर का गोयणा भाखर
- सिणधरी से महज सोलह किलमीटर दूर डण्डाली गांव के गोयणा पहाड़ पर शिवरात्रि को दीपावली जैसी दीपमाला नजर आएगी।

बाड़मेर.सिणधरी से महज सोलह किलमीटर दूर डण्डाली गांव के गोयणा पहाड़ पर शिवरात्रि को दीपावली जैसी दीपमाला नजर आएगी। पूरा पहाड़ सैकड़ों दीपों से जगमगा उठेगा। यहां पहाड़ में सवा सौ से अधिक देव प्रतिमाओं के समक्ष दीप प्रज्वलित होंगे। इसके साक्षी हजारों लोग मेले में होंगे। सिणधरी के डण्डाली गांव के इस पहाड पर शिवरात्रि का त्यौहार अलग ही होता है। करीब 84 गांवों के लोग मेले में यहां एकत्रित होते है और परिक्रमा करते है। इस पहाड़ पर सवा सौ से अधिक देव प्रतिमाएं स्थापित की गई है जो पहाड़ के कोने कोने में है।
यह है इतिहास
आजादी के बाद से सिणधरी के तत्कालीन रावल गुलाबङ्क्षसह ने इसे अपनी गौ और शिवभक्ति का स्थल बनाया। मेयो कॉलेज से पढे गुलाबसिंह ने इस पहाड़ में गोपालन शुरू करने के साथ ही यहां की आकर्षक बनावट को भक्ति का स्थल मानते हुए यहां संगमरमर की मूर्तियों की स्थापना शुरू की और 1992 तक अपने जीवनकाल में पहाड़ के कोने-कोने में देवी देवताओं की आकर्षक मूर्तियों को स्थापित करवाया। यहां हर शिवरात्रि इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए मेला उमडऩे लगा ,जो अनवरत जारी रहा। गोयणा पहाड़ पर शिवरात्रि के मौके पर लगने वाला यह मेला पिछले 39 सालों से लगातार आयोजित होता आ रहा है। सिणधरी के डण्डाली गांव के इस पहाड पर शिवरात्रि का त्यौहार अलग ही होता है। करीब 84 गांवों के लोग मेले में यहां एकत्रित होते है और परिक्रमा करते है। इस पहाड़ पर सवा सौ से अधिक देव प्रतिमाएं स्थापित की गई है जो पहाड़ के कोने कोने में है।
क्षेत्र की बड़ी गौशाला
गोयणा पहाड़ के पास ही थारपारकर नस्ल की गायों की बड़ी गौशाला है। इसमें सैकड़ों गायों का पालन किया जा रहा है। आस्था व श्रद्धा से आने वाले लोग यहां गोपूजन व दर्शन भी करते है। थारपारकर नस्ल की गायों की बड़ी गौशाला में सैकड़ों गायों का पालन किया जा रहा है।
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