यह कहानी है डा.ओम और स्नेहा की। ठीक एक साल पहले ओम की किडनी जवाब दे गई तो स्नेहा ने अपनी किडनी ओम को दे दी। एमबीबीएस करते हुए डा.ओम और स्नेहा दोनों के बीच प्रेम हुआ। इसी दौरान आेम की तबीयत खराब हुई और पता चला कि किडनी जवाब दे गई है। स्नेहा इस पर विचलित नहीं हुई और अपने परिवार को समझाइश की कि वह उससे प्रेम करती है और शादी करेगी। चाहे कुछ भी हो जाए। ओम के किडनी ट्रांसप्लांट हुआ तो पहली बार उसकी मां ने किडनी दे दी। करीब सवा साल पहले फिर उसकी किडनी जवाब दे गई तो इस बार स्नेहा आगे आई और ओम को किडनी देकर जान बचा ली। प्रेम और समर्पण की बेमिसाल किरदार डा. स्नेहा की एक किडनी से अब ओम की जिंदगी चल रही है और नन्हीं बेटी के साथ यह परिवार खुश है। स्नेहा ने ओम की जिंदगी में आए मुश्किल समय में भी उसका साथ दिया। उसकी हर मुश्किल में कंधे से कन्धा मिलकर कड़ी रही।