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सिवाना में भूजल स्तर बैठा पेदें, किसान हो रहे बेरोजगार

locationबाड़मेरPublished: May 13, 2019 12:49:47 pm

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Ground water level beds in siwana, Farmers becoming unemployed

Ground water level beds in siwana, Farmers becoming unemployed

सिवाना में भूजल स्तर बैठा पेदें, किसान हो रहे बेरोजगार

– खेत जोतना तो दूर बागवानी फसलों की सिंचाई करना हुआ मुश्किल
– 350-400 फीट पर नाममात्र उपलब्ध होता है पानी

– सब्जियों की पैदावार के लिए प्रसिद्ध सिवाना में घट रहा इसका क्षेत्र
– 5-6 बीघा में बुवाई करना किसानों की हुई मजबूरी
– गिरते जल स्तर पर किसान हो रहे बेरोजगार
बालोतरा.

जिले के सरसब्ज माने जाने वाले सिवाना में गिरते जल स्तर से किसानों की हालत खस्ताहाल हो रखी है। छप्पन की पहाडिय़ों वाले क्षेत्र सिवाना में जल संरक्षण के अभाव में हर वर्ष व्यर्थ बहते बरसाती पानी से हर वर्ष25 से 30 फीट भूजल स्तर कम हो रहा है। इस पर किसानों के लिए खेत जोतना तो दूर बागवानी फसलों की सिंचाई करना दिन ब दिन मुश्किल हो रहा है। सरकार के जल संरक्षण को लेकर ठोस प्रयास नहीं किए जाने से किसानों में रोष है।
रेगिस्तानी व सरहदी जिला बाड़मेर का उपखंड सिवाना सरसब्ज इलाका व काश्मीर के नाम से जाना जाता रहा है। उपखंड क्षेत्र के कई गांवों में से बरसाती लूनी नदी गुजरने व सिवाना में अरावली की 56 पहाडिय़ा होने पर बीते दशकों में यहां जल स्तर ऊंचा था। इस पर बड़े पैमान पर लोग खेती व बागवानी करते थे। यहां की पैदावार व सब्जियां प्रसिद्ध थी। लेकिन बीते कई वर्षों में लूनी नदी में निरन्तर बरसाती पानी का बहाव नहीं होने, 56 की पहाडिय़ों के बरसाती पानी का संरक्षण नहीं करने व निरतंर जलदोहन से भूजल स्तर पैंदे बैठ गया है। इससे किसान बेरोजगार हुए जा रहे हैं।
बागवानी फसल लेना हुआ मुश्किल

सिवाना, गोलिया, गूंगरोट, पीपलून आदि गांवों में मीठे पानी की तैयार सब्जियां क्षेत्र भर में प्रसिद्ध है। इस पर पूर्व के वर्षों में इन गांवों के अधिकांश किसान भिण्डी, तोरू, टिण्डसी, ककड़ी, टमाटर, आदि सब्जियों की बुवाई करते। अच्छी पैदावार व अच्छी बिक्री होने पर इन्हें अधिक आमदनी मिलती। लेकिन गिरते जल स्तर पर क्षेत्र के किसानों के लिए खेत जोतना तो दूर बागवानी फसलों की सिंचाई करना मुश्किल हो गया है। पूर्व में इन गांवों के करीब 450 कुंओं पर किसान सब्जियों की बड़े स्तर पर बुवाई करते। लेकिन अब 100 से भी कम किसान इनकी बुवाई करते हैं। इनके अनुसार 4 से 5 बीघा भूमि में सिंचाईकरने जितना पानी नहीं बचा है। फव्वारों से खेती करके वे जैसे तैसे सिंचाई कर आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। यही हाल रहा तो दो-तीन वर्षों में इतनी जमीन की सिंचाई करना भी मुश्किल हो जाएगा।
20 से 25 फीट गिरावट
जल संरक्षण के अभाव में हर वर्ष20 से 25 फीट पानी में गिरावट हो रही है। इस पर मैने नाममात्र 6 बीघा में भिण्डी की बुवाई की है। इसकी सिंचाई करना मुश्किल हो गया है। सरकार जल संरक्षण कार्यक रें। अन्यथा सभी किसान बेरोजगार हो जाएंगे।
– नरपतसिंह, किसान
गिर गया जलस्तर

एक दशक पहले 100 फीट गहराई में भरपूर पानी उपलब्ध होता था। लेकिन अब 350 से 400 फीट गहराई में भी नाममात्र पानी उपलब्ध हो रहा है। खेती करना मुश्किल हो गया है। यही हालत रहे तो पीने के लिए भी पानी नसीब नहीं होगा।
– चैनसिंह, किसान

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