बाड़मेर

सीमा पर ऐसा सन्नाटा तो सालों से नहीं देखा

– लॉक डाउन के चलते लोग घरों में कैद- घरों के दरवाजे बंद, आने वालों को मनुहार ना मेहमान नवाजी

बाड़मेरApr 02, 2020 / 09:49 pm

Dilip dave

सीमा पर ऐसा सन्नाटा तो सालों से नहीं देखा



दिलीप दवे
बाड़मेर. देश पर दुश्मनों के हमले के दौरान भी ऐसी खामोशी गांवों व ढाणियों में नहीं दिखी, जैसी कोरोना के चलते लॉक डाउन के दौरान नजर आ रही है। पचास घरों की आबादी हो फिर दो-तीन घरों की ढाणियां हर जगह सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग नजर आते हैं तो सिर्फ घरों में कैद। यह नजारा बाड़मेर जिले के सीमांत गांवों व ढाणियों में नजर आ रहा है, जहां लॉक डाउन के चलते घरों के आगे अघोषित लक्ष्मण रेखा खींच दी गई है जो बड़े तो बच्चे व बुजुर्ग भी पार करने से परहेज कर रहे हैं।
राजस्थान पत्रिका की टीम बाड़मेर से करीब सवा किमी दूर पाक सीमा से लगते सोमराड़ गांव पहुंची तो यहां करीब सौ घरों वाली आबादी में सन्नाटा पसरा हुआ था। पत्रिका टीम दो-तीन गलियों में घूमी तो लोग नजर नहीं आए। यहां बसें खड़ी थी और घरों के मुख्य दरवाजे बंद थे। थोड़ी दूर एक ढाणी में फोटाराम का परिवार जीरे की फसल ले रहा था। पूछने पर बताया कि कोरोना के चलते लोग घरों में ही रहना पसंद करते हैं। ऐसे में गांवों में लोग नजर नहीं आ रहे। कृष्णा का तला गांव में तो कोई नजर ही नहीं आया। तालसर गांव में भी ऐसी ही स्थिति थी। यहां एक ढाणी में एक परिवार खेतीबाड़ी में व्यस्त था। ढाणी का दरवाजा बंद किया हुआ था, पूछने पर बताया कि बच्चें बाहर नहीं जाए, इसलिए दरवाजा बंद रखते हैं। यहां खड़े मावजी ने बताया कि वह आठवीं पास है, खेतीबाड़ी करता है और कोरोना की जानकारी भी रखता है। उसने अपने परिवार व आसपास वालों को भी बता दिया है कि कोरोना से बचने के लिए एक-दूसरे से नहीं मिलें। गोहड़ का तला, बुरान का तला आदि गांवों में लोगों की आवाजाही नजर आई, लेकिन पूछने पर यहीं कहा कि जरूरी काम के कारण बाहर आ रहे हैं। आलमसर व सांवा में भी कम लोग दिखे। कोनरा गांव तो पूरा लॉक डाउन में ही नजर आया, यहां धोरों पर बसे गांव में लोग घरों में कैद थे। कमोबेश यही स्थिति रड़वा, नीम्बड़ी, सांवलोर, सांसियों का तला सहित कई गांवों में थी।
हर मुंह पर मास्क, सावधानी की सीख- पत्रिका की टीम जिस गांव से गुजरी वहां एक जिस सामान्य दिखी कि लोग कोरोना को लेकर जागरूक नजर आए। हर गांव में लोगों ने मास्क, रूमाल, कपड़ा आदि से मुंह ढका हुआ था। वहीं, कई जगह तो लोग एक-दूसरे से दूरी बनाए हुए भी थे।
खेतों में सोशल डिस्टेंस का ध्यान- सीमावर्ती गांवों में वर्तमान में जीरा, ईसबगोल आदि फसलों की कटाई का दौर चल रहा है। इसमें भी लोग कोरोना को लेकर जागरूकता बरतते नजर आए। स्थिति यह है कि लोग मीटर-सवा मीटर की दूरी में अलग-अलग बैठकर काम कर रहे थे। वहीं, मुंह पर कपड़ा भी बांध रखा था।
बस बीमारी को हराना है- लोगों से बातचीत में सबकी जुबां पर एक ही बात थी कि कोरोना भारत में ज्यादा नहीं फैले, इसलिए प्रधानमंत्री की अपील को ध्यान में रखते हुए घरों में ही रहना है और एक-दूसरे से दूरी बनाए रखनी है।

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