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अधिक खेती पड़ रही खेतों पर ‘भारी’, पोषकतत्वों की कमी से मिट्टी में ‘बीमारी’

locationबाड़मेरPublished: Dec 05, 2021 12:47:13 am

Submitted by:

Dilip dave

– खेतों में घट रहा जिंक, लोहा व ताम्बा, सेहद के लिए खतरे की घंटी
– दस पोषक तत्वों में आई गिरावट

अधिक खेती पड़ रही खेतों पर ‘भारी’, पोषकतत्वों की कमी से मिट्टी में ‘बीमारी’

अधिक खेती पड़ रही खेतों पर ‘भारी’, पोषकतत्वों की कमी से मिट्टी में ‘बीमारी’

दिलीप दवे बाड़मेर. खुशहाल बाड़मेर में अब खेती खेतों पर भारी पडऩे लगी है। लगातार खेती करने से मिट्टी की सेहद बिगड़ रही है। तीस साल में नाइट्रोजन सहित दस पोषक तत्वों में कमी आ गई है जिसका अर्थ सीधे शब्दों में कहा जाए तो मिट्टी बीमार पडऩे के रूप में लिया जा सकता है।
सीमावर्ती जिले बाड़मेर में पिछले तीन दशक से सिंचित खेती का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। यह ग्राफ तरफ जहां खुशहाली ला रहा है तो दूसरी ओर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी से चिंता भी बढ़ा रहा है। पिछले तीस साल में बाड़मेर की मिट्टी में जिंक, ताम्बा, लोहा, गंधक, नाइट्रोजन,फास्फोरस, बोरोन आदि आवश्यक पोषक तत्व कम पडऩे लगे हैं।
इसका अर्थ यह है कि अब हमारी मिट्टी की पोष्टिकता कम होने लगी है जिसके चलते यहां की फसलों में भी पोषक तत्व कम होने लगे हैं। नाइट्रोजन की ज्यादा कमी, अन्य भी कम- तीस सालों में जिले की मिट्टी में सबसे ज्यादा कमी नाइट्रोजन की आई है।
करीब ८५ फीसदी मिट्टी के नमूनों में नाइट्रोजन कम पाया गया है। वहीं फास्फोरस का स्तर माध्यम रह गया है। मिट्टी के नमूनों के अनुसार ६५ फीसदी में जिंक, ५१ प्रतिशत में लोहा, ३८ फीसदी में ताम्बा, ३२.६ फीसदी में बोरोन, ४९.१ फीसदी में गंधक की कमी पाई गई है। एेसे में जिले में दस पोषक तत्वों की कमी मिट्टी में आने लगी है।
रसायन का उपयोग व बार-बार खेती- जिले में मिट्टी की सेहद खराब होने का बड़ा कारण सिंचित खेती के चलते रसायनिक खाद, उर्वरक आदि का उपयोग माना जा रहा है। इसका निर्धारित मात्रा से अधिक उपयोग मिट्टी में पोषक तत्वों में कमी ला रहा है। वहीं, पूर्व में जहां लोग दो-तीन साल में एक बार खेत को बिना जुताई किए पड़त रखते थे जिस पर खेत की उर्वरक क्षमता सही रहती थी लेकिन अब साल में तीन बार खेतों में बुवाई करने से लगातार खेती हो रही है जो मिट्टी की सेहद पर भारी पड़ रही है।
क्या रहता है असर- नाइट्रोजन की कमी से पौधों की बढ़ोतरी कम होती है तो फास्फोरस की कमी पर जड़े नहीं बनती। पोटाश की कमी से फलों की साइज नहीं बढ़ती। लोहा, जिंक, ताम्बा आदि सुक्ष्म पोषक तत्वों की कमी पर पौधे में दाने, रस नहीं बनता।
सही मात्रा में हो रसायनिक उर्वरकों का उपयोग- मिट्टी के नमूनों के अनुसार बाड़मेर में विभिन्न पोषक तत्वों की कमी आ रही है जो चिंता का कारण है। किसान रसायनिक उर्वरकों का उपयोग सही तरीके से करें। दो-तीन साल में एक बार खेत को पड़त छोड़ दें। वहीं, देसी खाद का उपयोग अधिक से अधिक करें।- डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक केवीके गुड़ामालानी

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