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बाड़मेर

हेमाराम शुरू से नाराज, मदन ने बीच में रंग दिखाया, मानवेन्द्र का अलग चावल

– गहलोत के गढ़ में है सचिन का दखल

बाड़मेरJul 14, 2020 / 07:49 am

Ratan Singh Dave

– गहलोत के गढ़ में है सचिन का दखल

बाड़मेर.
प्रदेश की राजनीति में आए भूचाल से रेगिस्तान भी अछूता नहीं है। मारवाड़ अशोक गहलोत का गढ़ है लेकिन सचिन पायलट ने इसमें सेंध में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। हेमारा उनके खुलकर साथ हो गए है,ऐसे में हेमाराम के साथ कितने विधायक जुड़ते है यह बड़ी बात हो गई है।
गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी के जीतने के बाद उनको मंत्री बनाने के कयास सर्वाधिक थे। जिले से एक हरीश चौधरी को ही राजस्व मंत्री बनाया गया। हेमाराम का नंबर नहीं लगा। इससे हेमाराम नाराज हो गए थे और उनके समर्थकों ने इस नाराजगी को जयपुर पहुंचकर भी जाहिर किया। नाराज हेमाराम ने अपना इस्तीफा भी विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी तक पहुंचा दिया था लेकिन न तो इसको सार्वजनिक किया गया और न ही स्वीकार। खफा हुए हेमाराम कई दिनों तक विधानसभा में भी नहीं गए और न ही किसी बैठक में भी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इसकी जानकारी होने के बावजूद उन्होंने इसको लेकर कोई टिप्पणी नहीं की।
हेमाराम को मनाने का प्रयास
इस घटनाक्रम के करीब छह माह बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बाड़मेर आए तब उत्तरलाई में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने हेमाराम के साथ विशेष मुलाकात करवाई जिसमें हेमाराम ने मुख्यमंत्री से अपनी बात कही। इसके बाद हेमाराम की नाराजगी कुछ दूर हुई।
सचिन के करीब है हेमाराम
हेमाराम इसके बाद भी सचिन पालयट के करीब में रहे है। विगत विधानसभा के सत्र में भी हेमाराम ने बेबाकी से कहा था कि उनके काम नहीं हो रहे है। मुख्यमंत्री के कहने के बावजूद काम नहीं होते है तो कहां तक ठीक है? उन्होंने कहा कि फिर हमारा यहां होना नहीं होना कोई मायने नहीं रखता है। सचिन पायलट और हेमाराम एक दूसरे के करीब लंबे समय से है। हेमाराम के पुत्र के निधन पर सचिन पायलट तो आए थे लेकिन अशोक गहलोत तब भी नहीं आए थे।
मदन प्रजापत की नाराजगी सामने आई
मुख्यमंत्री बनने के बाद अशोक गहलोत पचपदरा रिफाइनरी के निरीक्षण को पहु्रंचे तो यहां रिफाइनरी की प्रगति को लेकर विशेष बैठक में पचपदरा विधायक मदन प्रजापत को शामिल नहीं किया गया। मदन प्रजापत इससे नाराज हो गए और उन्होंने खुलकर कहा था कि उनको बाहर रखना साजिश है। उनको क्यों बाहर रखा गया है,इसका कारण सब जानते है। इसके बाद मदन प्रजापत को दूसरी बैठक में शामिल कर लिया गया
मानवेन्द्रसिंह का अलग चावल
पिछले विधानसभा चुनावों में मानवेन्द्रसिंह को कांग्रेस में शामिल किया गया। मानवेन्द्र के कांग्रेस में आने में बड़ा रोल जहां राहुल गांधी का रहा वहीं सचिन पायलट उनकी पैरवी में सबसे आगे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी राजस्व मंत्री हरीश चौधरी की ओर से मानवेन्द्र को कांगे्रस में शामिल नहीं करने को लेकर भी काफी जोर आजमाइश चली। मानवेन्द्र कांग्रेस में शामिल होकर सांसद का चुनाव हार गए। इधर हरीश चौधरी बायतु से विधायक का चुनाव लडऩे लगे तो मानवेन्द्र के एक करीबी ने भी बसपा से ताल ठोक दी। ऐसे में हरीश चौधरी के जीत का गणित ही बदल गया और उनको जीतने में जोर लगा।
तुरुप का पत्ता हरीश चौधरी
अशोक गहलोत के लिए मारवाड़ और बाड़मेर की राजनीति में अब हरीश चौधरी तुरूप का पत्ता बने हुए है। उन्हें गहलोत का दायां हाथ भी माना जाता है। बाड़मेर से तीन बार चुनाव जीतने वाले विधायक मेवाराम जैन भी गहलोत खेमे के ही है। अमीनखां और पदमाराम अभी तक तटस्थ स्थिति में है।

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