हेमाराम को मिलेगा मौका या मेवाराम लगा लेंगे चौका
– सत्ता संग्राम का कुरुक्षेत्र बना रेगिस्तान
Hemaram will get a chance or Mevaram will be shocked
बाड़मेर पत्रिका.
प्रदेश के सत्ता संग्राम का केन्द्र इस बार रेगिस्तान(जैसलमेर) बना और इससे रेगिस्तान के कांग्रेस नेताओं की राजनीति ने भी काफी उठापटक का दौर देख लिया। पायलट खेमे में मुख्य कमान में नजर आए गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी ने मुख्यमंत्री का खुलकर विरोध किया अब उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चाएं गर्मागर्म है। इधर जैसलमेर के फकीर परिवार ने मुख्यमंत्री ने नजदीकियों को सामने लाया है।
हरीश ने संभाली कमान
बायतु विधायक व राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने सत्ता संग्राम में मुख्यमंत्री की कमान संभाली और न केवल बाड़मेर-जैसलमेर बल्कि दिव्या मदेरणा, चेतन डूडी, दानिश अबरार, रूपाराम धनदे सहित कई विधायकों से सीधे संपर्क कर साथ लिया। मुख्यमंत्री की ओर से चौधरी को होटल सूर्यागढ़ में राजनीतिक उठापटक पर नजर के लिए भी बागडौर दी हुई थी।
हेमाराम चौधरी पर अब भी नजर
गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी सचिन पायलट खेमे में रहे । उन्होंने मुख्यमंत्री का खुलकर विरोध किया। कांग्रेस ने विरोध के स्वर मुखर करने पर पायलट सहित कांग्रेस के अन्य लोगों पर पर कार्यवाही की लेकिन हेमाराम के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई। अब चौधरी के राजनीतिक भविष्य को लेकर यह भी माना जा रहा है कि असंतुष्टों में से किसी को मंत्रालय मिलेगा तो उसमें हेमाराम का नाम शामिल है। डेमेज कंट्रोल के लिए यह हो सकता है।
फकीर परिवार ने जाजम जमाई
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी रहे गाजी फकीर के परिवार ने फिर एक बार सत्ता संग्राम के दौर में राजनीतिक जाजम जमाई। अल्प संख्यक मामलात मंत्री शाले मोहम्मद जहां मेजबानी में नजर आए वहीं गाजी फकीर से मिलने राज्य व राष्ट्रीय स्तर के कांग्रेस नेता पहुंचे। जैसलमेर विधायक रूपाराम धनदे व गाजी परिवार में राजनीतिक अनबन है फिर भी बाड़ेबंदी में रूपाराम ने भी हरीश चौधरी के साथ खड़े रहकर अपनी भूमिका को निभाया।
मदन प्रजापत ने किया सचिन का विरोध
विधानसभा में जीत के बाद पचपदरा विधायक मदन प्रजापत एक बार रिफाइनरी के मामले में रूठ गए थे लेकिन सत्ता संग्राम की बाड़ेबंदी में वे गहलोत खेमे में थे। जैसलमेर में दस दिन तक मदन प्रजापत का मोबाइल भी लगभग स्वीच ऑफ रहा लेकिन सचिन पायलट के दिल्ली पहुंचने और मुख्यंमत्री खेमे के जीत के बाद मुख्यमंत्री बैठक लेने जैसलमेर पहुंचे तो मदन प्रजापत सचिन पायलट का खुलकर विरोध करने वालों की पंक्ति में खड़े थे और उन्होंने पायलट को अब पार्टी में नहीं लेने की बात कही।
मेवाराम-अमीनखां रहे विश्वस्तों में
बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन और शिव विधायक अमीनखां मुख्यमंत्री के विश्वस्त में रहे। दोनों की ओर से किसी तरह की राजनीतिक बयानबाजी व टिप्पणी नहीं की गई और न ही इस लड़ाई में खुलकर कूदे। मेवाराम जैन तीन बार की जीत के बाद अब मंत्री मण्डल विस्तार को लेकर हो रही चर्चाओं में चलने लगे है।
तबादले से पदमाराम चर्चा में
चौहटन में एक शिक्षक के तबादले ने बाड़ेबंदी में चौहटन विधायक पदमाराम को चर्चे में लाया। फेसबुक पेज पर विधायक ने बाड़ेबंदी से जुड़ा फोटो दिया तो इसको लेकर एक शिक्षक ने विरोध में टिप्पणी कर दी। इसी दौरान शिक्षक का तबादला कर दिया गया। हालांकि विधायक ने इसको लेकर कहा है कि इस टिप्पणी को लेकर उन्होंने ऐसा कोई दबाव नहीं बनाया है।